बूंदों में रंग खिले सुहाने,
सूरज की किरणें सपने सजाने।
नदी किनारे हँसी बिखर जाए,
खेतों की गलियों में गीत सुनाए।
बादलों के बीच बना पुल प्यारा,
पहाड़ की चोटी पे उम्मीद सहारा।
बच्चों की आँखों में जादू छाए,
पंछी पंखों से नभ सजाएँ।
फूलों की खुशबू चारों ओर,
बग़ीचे की राहें जगमग घोर।
हर दिल में चित्र नया सा खिले,
प्रकृति के वरदान जीवन में मिले।
जी आर कवियुर
02 10 2025
(कनाडा , टोरंटो)
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