Sunday, October 26, 2025

सपने ने पंख फैलाया (गीत)

सपने ने पंख फैलाया (गीत)


चांदनी बरसी फिज़ाओं में
सपने ने पंख फैलाया
संगम गया कोयलों ने
ओस की बूंदें मुस्कुराए (2)

ठंडी हवाओं में प्यार ने धीरे मिलन किया,
सर्दियों ने फुसफुसाया, दिल थिरक उठे।
हर साँस में भीतर आग फैल गई,
दिलों में मोहब्बत की खुशबू महक गई।(2)

चांदनी बरसी फिज़ाओं में
सपने ने पंख फैलाया
संगम गया कोयलों ने
ओस की बूंदें मुस्कुराए

मृदु हवा ले आई सर्दी पास,
सुनहरी पत्तियाँ नाचें, खुशियों के साथ।
जब हवा ने हमारे प्रेम गीत गाए,
हर रंग में हम छुप गए, जैसे छाए।(2)

चांदनी बरसी फिज़ाओं में
सपने ने पंख फैलाया
संगम गया कोयलों ने
ओस की बूंदें मुस्कुराए

सूरज की नरम, गर्माहट भरी किरण में,
हर स्पर्श से मन ने जागरूकता पाई।
नदियों में बहा प्रेम, स्वतंत्र और प्यारा,
प्रभात की रोशनी में दिलों ने झूम कर मनाया।(2)

चांदनी बरसी फिज़ाओं में
सपने ने पंख फैलाया
संगम गया कोयलों ने
ओस की बूंदें मुस्कुराए

शाश्वत प्रेम के ऋतु में,
सपनों ने रंग भरे आकाश में।
चाँदनी से लेकर सूरज की किरण तक,
प्रकृति ने गाया हमारा अनंत प्रेम का गीत।(2)

चांदनी बरसी फिज़ाओं में
सपने ने पंख फैलाया
संगम गया कोयलों ने
ओस की बूंदें मुस्कुराए

जी आर कवियुर 
26 10 2025
(कनाडा, टोरंटो)



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