हरी पत्तियों में मधुर सुर गूँजे,
चिड़ियों के राग सदा मन पूजे।
फूलों से सजी रंगीन डाली,
सुगंध लुटाए सुबह निराली।
तितलियों का नृत्य सुहाना,
हवा में गूँजे गीत पुराना।
मधु लुटाएँ मधुमक्खियाँ प्यारी,
किरणें बिखेरें सोने की क्यारी।
शीतल छाया स्नेह लुटाए,
सपनों की धरती परियाँ सजाए।
मन को मिले शांति अपार,
वसंत वन हो सुंदर संसार।
जी आर कवियुर
03 10 2025
( कनाडा, टोरंटो)
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