Friday, October 3, 2025

रूहानी सफर (ग़ज़ल)

रूहानी सफर (ग़ज़ल)

हर साँस में तेरा नाम तलाशता हूँ,
हर पल में तेरी रहमत पास आता हूँ।

नज़रों में तेरा दीदार बसता है,
दिल के वीराने में तू ही उजास आता हूँ।

तेरी मोहब्बत की खुशबू से महकता हूँ,
तेरी यादों के मौसम में ही बहकता हूँ।

बुझती हुई रोशनी में भी तेरा अक्स है,
अँधेरों में मैं तेरी ओर ही रास्ता बनाता हूँ।

आओ इक पल ठहर जाए, तुझसे मिलने,
तन्हाई में भी मैं तेरा ही गुनगुनाता हूँ।

रूह के दरिया में डूबकर जी आर,
तेरी मोहब्बत की लहरों में बह जाता हूँ।

जी आर कवियुर 
03 10 2025
(कनाडा , टोरंटो)

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