दिल को पाया न कभी तेरी तलाश में,
खुद को खोता रहा तेरी तलाश में।
रात जागी तो उजाला उतरता गया,
दिल धड़कता रहा तेरी तलाश में।
हर सोच में बस तेरा ज़िक्र रहा,
साँस महकती रही तेरी तलाश में।
राह चलते हुए भी ठहर सा गया,
कदम रुकते रहे तेरी तलाश में।
जुदाई की आग में जलते हुए भी सुकून,
दिल मुस्काता रहा तेरी तलाश में।
जी आर कहे अब यही है मंज़िल,
रब से मिलता रहा तेरी तलाश में।
जी आर कवियुर
17 10 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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