नीला चाँद
नीला चाँद
तुम्हें कैसे
हमेशा खिलते देखा जाता है (2)
हमारा प्यार तुमने कभी देखा?
आँखों की खामोशी तुमने सुनी?
उसकी मौन मुस्कान जब खिला,
मेरे दिल में संगीत मधुर हो गया (2)
नीला चाँद
नीला चाँद
तुम्हें कैसे
हमेशा खिलते देखा जाता है
तुम हो गवाह उस पहले पल के,
दिलों की धड़कनें क्या जान पाएंगी?
उसकी हँसी अब भी गूंजती है,
हवा में क्या तुम उसे महसूस कर सकते हो?(2)
नीला चाँद
नीला चाँद
तुम्हें कैसे
हमेशा खिलते देखा जाता है
क्या हम फिर कभी मिलेंगे?
क्या वह भी इन किनारों पर मिल पाएगी?(2)
नीला चाँद
नीला चाँद
तुम्हें कैसे
हमेशा खिलते देखा जाता है
जी आर कवियुर
22 10 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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