तेरी आँखों में चाँदनी झिलमिलाए,
मौन में स्वर कोई जाग उठे।
हवा सुनहरी फुहारें लाए,
दिल में मधुर फूल खिल उठे।
सपने गहराई में तैर रहे,
आशा की लहरें बहती जाएँ।
बादल छूकर खुशबू लुटाएँ,
ठंडी राहों पर कदम गुनगुनाएँ।
रंग मिलें, समय मुस्कराए,
प्यार के बोल सुर बन जाएँ।
साँझ की साँस जब थम जाए,
गीत बन जाए प्रेम की छाँव।
जी आर कवियुर
23 10 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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