Saturday, October 18, 2025

ग़ज़ल — “नज़र में तू ही तू”

ग़ज़ल — “नज़र में तू ही तू”


नज़र में तू ही तू, दिल में आग भी तू ही तू,
हर सांस में खुमार, हर राग भी तू ही तू(2)

शब की ख़ामोशी में, तेरी सदा गूंजती रही,
मेरा दिल हो गया बेपरवाह भी, तू ही तू(2)

जला के रूह में यादों की चाँदनी रख दी,
हर दर्द में छुपा इकरार भी, तू ही तू(2)

तन्हाई ने लिखा नाम तेरा हवाओं में,
हर धड़कन में छुपा पैग़ाम भी, तू ही तू(2)

तारों ने छोड़ दीं राहें सभी सुबह होते,
रात भर मेरा इंतज़ार भी, तू ही तू(2)

जी आर कह गया, अब तो मेरी दुनिया वही,
हर गीत में बस इज़हार भी, तू ही तू(2)

जी आर कवियुर 
18 10 2025 
(कनाडा, टोरंटो)

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