तेरे लिए (ग़ज़ल)
कैसे फटका नैना तेरे लिए
आंसू बर आईं यादें तेरे लिए(2)
चाँदनी भी अब फीकी लगती है
तेरी यादों की रोशनी तेरे लिए(2)
गुलों की महक भी अब सुनी-सुनी
महकती खुशबू सारी तेरे लिए(2)
दिल की हर धड़कन सिर्फ़ तेरे नाम
हर सांस मेरी कुर्बां तेरे लिए (2)
रातें कटती हैं तन्हाई में खामोश
हर जज़्बात छुपा लिए तेरे लिए(2)
सपनों की दुनिया में भी बस तुम
हर ख्वाब सजाए तेरे लिए (2)
जी आर ने लिखी ये दास्तान
प्यार की हर लकीर बस तेरे लिए(2)
जी आर कवियुर
19 10 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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