Tuesday, September 30, 2025
“आँसुओं के सागर में एक धुन”
Monday, September 29, 2025
गहराईयों में ख्वाब
छुपी हुई मेहनत
समुद्र पंख
तितली
काव्य मंच
हवाओं की लहरों में, (गीत)
पहाड़ (गीत)
धान का खेत
Saturday, September 27, 2025
मचल रहा है मन,(गीत)
Friday, September 26, 2025
प्यार की गलियों में ( गीत)
पिता
तेरी यादों का सफ़र (ग़ज़ल)
Thursday, September 25, 2025
कविता - विचारों की यात्रा
"यादों का क़ाफ़िला" (ग़ज़ल)
श्री कृष्ण भजन
समय की दौड़ (कविता)
Wednesday, September 24, 2025
यादों की मृदुल रेखा (सरल गीत)
Tuesday, September 23, 2025
ग़ालिब नहीं मैं ( ग़ज़ल)
नवरात्रि १ से ९ दिन में की कीर्तन
अंक
धान का खेत
“तेरे सुरों में जागना”
सुबह की फुसफुसाहट
संध्याकाश
संघर्ष की सरगम
Monday, September 22, 2025
हृदय का प्रतीक
हृदय का प्रतीक
एक नीरव दृश्य में, यादें गाती हैं नई धुन।
भले ही कई रास्ते बंद हों, तुम्हारे भीतर की रोशनी टिकती रहती है।
आँसुओं की बारिश में, मुस्कानों के सूरज में,
हर क्षण एक नया अनुभव देता है।
धन नहीं, केवल प्रेम ही,
हृदय को उसका विशाल स्थान देता है।
जागो, उठो, और अपने भीतर खुद को खोजो,
तुम्हारे चमकते प्रतिबिंब आकाश में उड़ते हैं।
कविताओं में, सपनों में, हर विचार में —
सृजन हमेशा तुम्हारे हृदय के केंद्र में वास करता है।
कहीं भी खुद को खोने मत दो,
हृदय की तेज़ी में तुम्हारा स्थान हमेशा उज्ज्वल रहे।
जी आर कवियुर
22 09 2025
( कनाडा , टोरंटो)
अदृश्य स्थान”
अदृश्य स्थान”
एक नीली झील, जो कभी स्थिर नहीं,
जिसमें तारे डूबते नहीं, छिपते नहीं।
मंदिर की कबूतर-सी उड़ान निरंतर,
किसी की नहीं, फिर भी सबकी लगती।
सबके बीच होकर भी कोई न पहुँचे,
न सीढ़ी, न द्वार, न राह कहीं।
एक मृगतृष्णा-सी झलकती छवि,
एक मौन, जो छूने में कठिन।
लगता है है, पर पकड़ा न जाए,
ऋषियों ने कहा इसका गुप्त ठिकाना।
जहाँ भृकुटि मिलती है मौन में,
वहीं छिपा है इसका प्राचीन सत्य।
जो जग में भटके अनजाने,
वो चक्कर काटते रहते सदा।
पर जो जागे, वो पाए शिखर को —
यह अदृश्य स्थान है मन।
जी आर कवियुर
22 09
2025
( कनाडा , टोरंटो)
Sunday, September 21, 2025
खाना पकाना
उपवास
संगीत संध्या
राग और रागनी ( ग़ज़ल)
ऊँचाई से शहर
Friday, September 19, 2025
अकेले विचार – 119. एक फूल खिलने पर ( गीत)
Thursday, September 18, 2025
तेरी तस्वीर" (ग़ज़ल)
Wednesday, September 17, 2025
स्मृतियों की परछाइयाँ – (ग़ज़ल)
तेरी खोज में
तेरी यादें में (ग़ज़ल)
Tuesday, September 16, 2025
नीला झील और मेरा मन
नीला झील और मेरा मन
नीला झील और मेरा मन
सांत स्वरों के तट पर ठहरा
हवा की छुअन दिल को छूती है
छायाएँ पानी में नृत्य करती हैं
आज, कन्नी मास की हवा मेरे देश से छूकर चली गई
फूलों की खुशबू हवा में बहती हुई
आकाश नीली आँखों में बरसता है
चमकती लहरें सपने बिखेरती हैं
नदी का प्रवाह दिल से मिलता है
सितारे रात के आँसुओं में चमकते हैं
चाँदनी पंखों की तरह फैलती है
सांझ के रंग दुनिया को भर देते हैं
मेरे भीतर कविता शांति से गूंजती है
जी आर कवियुर
17 09 2025
(कनाडा, टोरंटो)
संध्या की हवा
सुनहरा फूल
Monday, September 15, 2025
तुम्हें भूल न सकूँ”
स्वर संगम
उड़ान भरे,
उड़ान भरे,
नन्हा पंखों वाला चमत्कार उड़ान भरे,
दमकते रंग जैसे दीपक झिलमिल करें।
फूलों के ऊपर ठहर कर मंडराए,
पंखुरियों को चूम कर रहस्य सुनाए।
निशब्द उड़ानें निर्मल सरिता पर,
धूप को लेकर सपनों में उतरे।
प्रकृति सजाए नाज़ुक चित्रकारी,
हर मन को छू ले उसकी कोमल लयकारी।
क्षणिक पल, सौंदर्य अल्प महान,
फिर भी सभी को करता मोहित ज्ञान।
आनंद का दूत, रश्मि प्रभात,
ऋतु उपहार ग्रीष्म दिवस में साथ।
जी आर कवियूर
15.09.20
25
(कनाडा, टोरंटो)
समुद्र की हवा
समुद्र की हवा
किनारे छूते लहरों के गीत,
कोमल स्पर्श जगाए प्रीत।
नमकीन सांस महके हवा,
क्षण जगाए दिल की दवा।
तरंगें गाती सुरों की तान,
सागर गूँजे हर एक स्थान।
बूँदें चमके रजनी के संग,
तारे बरसे उजली उमंग।
मंद छुअन मन को भाए,
सपने जग में फूल बन जाए।
जी आर कवियूर
15.09.202
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(कनाडा, टोरंटो)
लाल छतरी के नीचे
लाल छतरी के नीचे
लाल छतरी की छाँव तले,
टोरंटो की गलियों में बैठे हम चले।
छोटी-सी चाहत, दिल का सहारा,
फ्रेंच फ्राइज़ संग डाइट कोला प्यारा।
शहर की रफ़्तार, गाड़ियों का शोर,
फिर भी मिलता सुकून, दिल के अंदर और।
तेरा हाथ थामे, प्रेम का सहारा,
ये बेंच ही लगता है घर हमारा।
जी आर कवियूर
15.09.2025
(
कनाडा, टोरंटो)

