Monday, September 29, 2025

समुद्र पंख

समुद्र पंख 

लहरों के ऊपर सपने उड़ें,
रंगीन आकाश आँखों में जुदें।

नमकिले किनारे पदचिह्न बिखरे,
हवा के सुर से मन में मिठास भरे।

मछलियाँ खेलती जल में घूमें,
छुपी कथाएँ फुसफुसा कर ऊँचें।

संध्या की सुनहरी किरणें तट पर गिरे,
चाँदनी चमके समुद्र की लहरों में हिरे।

लहरों के साथ यात्राएँ समाप्त हों,
छायाओं में यादें धीरे बहें।

लंबे पंखों में स्वतंत्रता मिले,
जीवन के गीत लहरों में गूँजें।

जी आर कवियुर 
29 09 2025
(कनाडा, टोरंटो)

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