Saturday, September 27, 2025

मचल रहा है मन,(गीत)

मचल रहा है मन,(गीत)

धीरे-धीरे मचल रहा है मन,
धरती-अम्बर खिल उठा।
धड़कनें तेज़ हुई हृदय की,
कैसे कहूँ आभार तेरा आगमन पर।

सपनों में रंग भर गए,
हर दिशा गुनगुनाने लगी।
तेरी मुस्कान से जग सजा,
मेरी रूह महकने लगी।

नज़रों में चमक बसी,
सांसों में मिठास उतर आई।
तेरे संग हर पल लगे,
जैसे जन्नत यहाँ उतर आई।

तू आया तो जीवन खिला,
ख़्वाब हकीकत में बदल गया।
तेरी चाहत में डूबकर,
मेरा हर सफ़र सफल हुआ।

जी आर कवियुर 
27 09 2025
(कनाडा, टोरंटो)

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