Thursday, September 18, 2025

तेरी तस्वीर" (ग़ज़ल)

तेरी तस्वीर" (ग़ज़ल)

अगर-मगर की बातों में कहाँ उलझता हूँ,
दिल के आईने में तेरी ही तस्वीर रखता हूँ।

तेरे ख़याल से ही दिल को सुकूँ मिलता है,
हर एक लम्हे को मैं तेरे हवाले करता हूँ।

तेरे बिना ये महफ़िल अधूरी सी लगती है,
तेरी मौजूदगी से मैं जहाँ सजाता हूँ।

फ़िज़ा में गूँजती रहती है तेरी आवाज़ सदा,
हर एक साज़ पे मैं तेरा तराना छेड़ता हूँ।

तेरी नज़र का जादू दिल पे असर करता है,
तेरे ही नाम से मैं हर दुआ माँगता हूँ।

जी आर के लबों पे बस तेरा ही ज़िक्र रहा,
जहाँ भी जाता हूँ मैं तुझे ही याद करता हूँ।

जीआर कवियूर 
18 09 2025
 (कनाडा, टोरंटो)


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