Monday, September 29, 2025

काव्य मंच

काव्य मंच 

शब्दों के परदे में विचार खिलें,
सपनों की गलियों में सुर मिलें।

कवि के दिल में गगन चमके,
पंक्तियाँ बहें जैसे धारा दमके।

चाँदनी जैसी वाणी बजे,
तारों जैसी आशा सजे।

श्रोताओं की आँखें जगमगाएँ,
तालियों में मित्र भाव आए।

प्रेम की खुशबू छा जाए,
हर पंक्ति मन को छू जाए।

जीवन की गाथा गूंज उठे,
कला का आशीष जग में बिखरे।

जी आर कवियुर 
29 09 2025
(कनाडा, टोरंटो)


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