उड़ान भरे,
नन्हा पंखों वाला चमत्कार उड़ान भरे,
दमकते रंग जैसे दीपक झिलमिल करें।
फूलों के ऊपर ठहर कर मंडराए,
पंखुरियों को चूम कर रहस्य सुनाए।
निशब्द उड़ानें निर्मल सरिता पर,
धूप को लेकर सपनों में उतरे।
प्रकृति सजाए नाज़ुक चित्रकारी,
हर मन को छू ले उसकी कोमल लयकारी।
क्षणिक पल, सौंदर्य अल्प महान,
फिर भी सभी को करता मोहित ज्ञान।
आनंद का दूत, रश्मि प्रभात,
ऋतु उपहार ग्रीष्म दिवस में साथ।
जी आर कवियूर
15.09.20
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(कनाडा, टोरंटो)
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