कृष्ण के रंग खिले चारों ओर
बज उठी बांसुरी, मधुर स्वर के साथ
वृंदावन में फूलों का नृत्य प्योर
भक्ति में डूबा हृदय गाए नाम साथ
गोपिकाओं के दिल में जागा प्रेम
गोविंद की मुस्कान में चमके दिव्यता
यमुना किनारे बहे मधुर लय के संग
नयनों में खिल उठा अद्भुत रूप सदा
नील गगन में बादलों की शोभा देखी
सदैव आनंद बिखेरते कृष्ण आए
पदस्पर्श से पवित्र हुई धरती
रंग-बिरंगे प्रभात में उभरा आनंद
जी आर कवियुर
03 09 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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