खो गया सब कुछ मगर यादों से नहीं मिटे निशान तेरे,
दिल के वीराने में अब भी गूँजते हैं अफ़साने तेरे।
रात भर आँखों में जलते हैं उजाले सपनों के,
हर तरफ़ फैले हैं मंज़र, चाहतों के पैमाने तेरे।
विरह की तन्हाइयों में ग़म का दरिया बह गया,
डूबता-उतराता रहा दिल, ढूँढता रहा सहारे तेरे।
चाँदनी भी शर्म खाती है तेरे नाम के साथ,
आसमान में खिल उठे हैं रौशनी के तराने तेरे।
जी आर की दास्ताँ सुन ले कोई दिल के पन्नों से,
हर शब्द में ढल गए हैं दर्द और फ़साने तेरे।
जी आर कवियुर
05 09 2025
( कनाडा, टोरंटो)
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