सूरज की किरणें शांत आकाश में बहती हैं,
नीली आँखों में अभी भी सपने जगे हैं।
कोमल हवा अनकहे गीत गाती है,
स्मृतियाँ धीरे-धीरे दिल में खिलती हैं।
विचार नदी की तरह बहने लगते हैं,
जहाँ सिर्फ़ आत्मा ही जा सकती है।
शब्द सहज, सच्चे, स्वतः उभरते हैं,
पुराने और नए अनुभवों का संगम लाते हैं।
हर धड़कन एक गीत कहती है,
समय थम सा गया है इस पल में।
इस शांति में, जीवन नज़दीक लगता है,
और आत्मा बोलती है, बिलकुल साफ़।
जीआर कवियूर
23 09 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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