अकेले विचार – 111
अगर हमारे कर्म से दुःख पैदा हो जाए,
कोई प्रार्थना उस पीड़ा को मिटा न पाए।
दान-दक्षिणा चाहे कितना किया जाए,
दिल के घावों को वह भर न पाए।
पर एक मुस्कान अगर हम दे सकें,
हज़ार प्रार्थनाओं के समान वह बने।
हँसी की किरण जब चेहरे पर खिले,
हर अँधेरा उस पल में ही ढले।
दूसरे के जीवन में जो सुख हम भरते,
वह सबसे पावन इबादत कहलाते।
जी आर कवियुर
10 09 2025
( कनाडा, टोरंटो)
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