Sunday, September 21, 2025

खाना पकाना

खाना पकाना

रसोई में खुशबू फैल रही है,
मसाले खेलते हैं गरमी में हलचल से।
बर्तन टकराते और संगीत जगाते हैं,
स्वाद मिलकर बनाते हैं मीठा अहसास।

भाप धीरे-धीरे बर्तन से उठती है,
हाथ सावधानी से मिलाते हैं व्यंजन।
ताजी सब्जियाँ रंग भरती हैं दृश्य में,
मिर्च, हल्दी और चमेली कहते हैं रहस्य।

पिट्ठा, दाल और कुरकुरा पापड़ सुनहरी तरह,
घर भर जाता है मिठास और गर्माहट से।
भोजन बनता है प्रेम और देखभाल के साथ,
हर कोने में खुशियाँ फैलती हैं सबके साथ।

जीआर कवियूर 
22 09 2025
 (कनाडा, टोरंटो)

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