प्यार की गलियों में
तुम्हारे लिए मैंने इंतजार किया
मधुर पीड़ा के सपनों में
आँखों में भीगी हुई चमक
फूलों में खिलती हुई खुशबू
बसंत के लिए सजग
विरह की छाया और बादल
हवाओं के हाथों में बहकने को तैयार
प्यार की गलियों में
तुम्हारे लिए मैंने इंतजार किया
दिल के सुरों में
तुम आए मेरी राहों में
एक पल भी
मैं बिना कहे छुपा रहता हूँ
प्यार की गलियों में
तुम्हारे लिए मैंने इंतजार किया
भोर ने सोने की रौशनी बिखेरी
तुम यादों के रूप में आए
सपनों में जब तुम खिलते हो
मेरा मन गुनगुनाता है
प्यार की गलियों में
तुम्हारे लिए मैंने इंतजार किया
नीले आकाश की बारिश में
तुम छाया की तरह बसे हो
सच्चे प्यार की यादों में
क्षण मधुर होकर छुप जाते हैं
प्यार की गलियों में
तुम्हारे लिए मैंने इंतजार किया
जी आर कवियुर
26 09 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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