Wednesday, September 17, 2025

तेरी खोज में

तेरी खोज में

तेरी छाया में रहूँ सदा,
चाँदनी में घुलता सपना।
शरमाई तेरी बंद पलकें,
यादों में बसती तू प्रिये।

वीणा की तारों सा संगीत,
दर्द और प्यार का मिलन अजीत।
जब सुनती तू दिल की तान,
डूब जाऊँ एहसासों में जान।

फूलों की पंखुरी संग उड़ती हवा,
लाती है तेरे स्पर्श की दवा।
तू वो रोशनी जो कभी न मिटी,
आकाश में चमके सदा प्रीति।

वक्त बदले, रातें हों लंबी,
आँखों में तुझे खोजूँ हर घड़ी।
प्यार की राहों में डूबा मैं,
सदा तुझे बाँध लूँ प्रिये।

जी आर कवियुर 
17 09 2025
(कनाडा, टोरंटो)

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