पग में बंधकर खनक उठी सपनों की छाया,
सोने की चमक सी बिखरी मोती की काया।
गाँव की गलियों में गूँजे मधुर ताल,
यादों में झूमे जीवन का सुरमाल।
नन्हीं हँसी में छलकी उमंग की वीणा,
हाथों में दमकी सौंदर्य की गीना।
ओस की बूंदों सी चमकी कोमलता,
मन में सजीव हुई चाहत की ज्योति।
हर्षित मुस्कान में झलके उम्मीदें,
जीवन पथ पर महके रिश्तों की लकीरें।
चाँदनी सी उजली प्रीति की छवि,
सोन की पायल सी सज गई धड़कन सभी।
जी आर कवियुर
03 09 2025
( कनाडा , टोरंटो)
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