Thursday, September 25, 2025

समय की दौड़ (कविता)

समय की दौड़ (कविता)

प्रस्तावना

समय एक ऐसा प्रवाह है जो कभी स्थिर नहीं रहता।
यह पुकार की तरह गूंजता है, घोड़े की तरह दौड़ता है।
इसके लय में जीवन आगे बढ़ता है, सपनों और आशाओं को आकार देता है।

इस कविता में, समय की गति और उसकी अद्भुत शक्ति पंक्तियों में झलकती है।
समय वह अदृश्य साथी है जो हमारा हाथ थामे रखता है,
जीवन की यात्रा में हमें मार्गदर्शन करता है और हर क्षण को नवीनता से भर देता है।

कविता – समय की दौड़

एक पुकार की तरह, तुम आगे बढ़ते हो,
दिन की तरह, हर रास्ते को रोशन करते हो।

घोड़े की तरह, तुम कूदते और दौड़ते हो,
बादल की तरह, चारों ओर घेर लेते हो।

रास्तों को जोड़कर, तुम नई कहानियाँ बनाते हो,
संगीत की तरह, यादों में गूंजते हो।

हवा की तरह, तुम आगे बढ़ते हो,
लहरों की तरह, लय में धड़कते हो।

चाँद की तरह, तुम शांत प्रकाश बिखेरते हो,
सपनों को दिल में फैलाते हो।

जीवन की तरह, तुम यात्रा बन जाते हो,
आकाश को काटते हुए संगीत बन जाते हो।

सूर्य की तरह, तुम्हारा तेज फैलता है,
तारों की तरह, तुम्हारी आशा चमकती है।

समय — ऐसा लगता है कि तुम सब कुछ हो,
आत्मा के माध्यम से कहानियाँ गाते हो।

जी आर कवियुर 
25 09 2025
(कनाडा , टोरंटो)

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