Tuesday, September 23, 2025

अंक

अंक

एक से सपनों की राह खुल जाती है,
दो से मित्रता की डोर बंध जाती है।

तीन के गीतों में बचपन मुस्कुराता है,
चार की राह में नया सफ़र बुलाता है।

पाँच उँगलियों में शक्ति का संगीत है,
छः बादलों से बरसती बूँदों की प्रीत है।

सात रंगों में इन्द्रधनुष झिलमिलाता है,
आठ कदमों में नया दृश्य जगमगाता है।

नौ दिल में आशा की लौ जगाता है,
दस से संसार को शांति मिल जाता है।

ग्यारह किरणों से भोर खिल उठती है,
बारह क्षणों में जीवन कविता बन जाती है।

जीआर कवियूर 
23 09 2025
 (कनाडा, टोरंटो)


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