चाँदनी की नीली छाँव में
दिल की लहरें धीरे से छूतीं,
अनकहे प्यार के सपने बिखरते हैं।
चाँद की नीरव रोशनी में
तुम्हारे लिए जागते हुए,
नयनों में खिलते हुए
प्रेम के मधुर स्वप्न।
सन्नाटे की घड़ी में बहते
मन का सांत्वन गीत,
हवाओं की उंगलियाँ छूतीं
दिल गा रहा है प्यार का राग।
चाँदनी में बहती यादों की लकीर,
विरह की बूंदें आँसुओं की तरह,
प्रेम की महक भर देती हैं
अनकहे प्यार की।
कह न सकी, छिपी हुई
दिल की अनकही मोहब्बत,
एक दिन खिल उठेगी इसकी आशा में
समय गिनकर इंतजार कर रहा हूँ।
जी आर कवियुर
24 09 2025
(कनाडा , टोरंटो)
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