Friday, September 19, 2025

अकेले विचार – 119. एक फूल खिलने पर ( गीत)

अकेले विचार – 119

एक फूल खिलने पर ( गीत)

मुखड़ा

फूल खिलते ही खुशबू दिल में उतर आती है,
एक पल में मोहब्बत जागती, आँखों में हँसी छा जाती है।

 अंतरा 1

रंग बिखरते हैं जैसे, मन में उमंग जगाते,
एक नजर से पंखुड़ियाँ, दिल को महका जाते।
लेकिन जब मुरझा जाए, राहें भूलों में खो जाएँ,
वो ख़ूबसूरती मिट जाए, खामोशी में रह जाए।

अंतरा 2

प्यार के लम्हे उड़ते, जैसे हवाओं में बीज,
वक़्त बदलते ही रिश्ते, बनते सिर्फ़ ताज्जुब की चीज़।
चेहरे खिलते–मुरझाते, हँसी रह जाती पीछे,
यादें ही गाती रहतीं, मन में सुर बनकर सींचे।

अंतरा 3

वीणा की मधुर तान-सी, धड़कन बजती है,
यादें हर दिन गुनगुनातीं, मोहब्बत की रागिनी सजती है।
एक पल अगर खो जाए, प्यार अधूरा हो जाए,
नज़रें खोजें फिर चाहे, कोई लौटकर न आए।

जी आर कवियुर 
15 09 2025
( कनाडा, टोरंटो)

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