कंधे से कंधा मिलाकर
कंधे से कंधा मिलाकर वे आज भी खड़े हैं,
ख़ुशी और दुःख में साथ-साथ चलते हैं।
काँपते हाथ प्यार से मिलते हैं,
दिलों की धड़कन में प्रेम की लय झलकती है।
जब एक उठने में संघर्ष करे, दूसरा हाथ बढ़ाए,
एक साथ बढ़ते हैं, पुराने रिश्तों की तरह सच्चे।
आँखों में अभी भी कोमल रोशनी चमकती है,
यादें फुसफुसाती हैं प्यारे नाम जो कभी नहीं मरते।
चरण थक जाएँ भी, आत्मा मजबूत रहती है,
आशा गाती है एक शाश्वत गीत।
बेजान दिनों और तूफ़ानों में भी,
वे एक साथ चलते हैं, दिलों में प्यार पलता है।
जी आर कवियुर
09 09 3025
( कर्नाटक टोरंटस)
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