Monday, September 15, 2025

समुद्र की हवा

 समुद्र की हवा


किनारे छूते लहरों के गीत,

कोमल स्पर्श जगाए प्रीत।


नमकीन सांस महके हवा,

क्षण जगाए दिल की दवा।


तरंगें गाती सुरों की तान,

सागर गूँजे हर एक स्थान।


बूँदें चमके रजनी के संग,

तारे बरसे उजली उमंग।


मंद छुअन मन को भाए,

सपने जग में फूल बन जाए।


जी आर कवियूर

15.09.202

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 (कनाडा, टोरंटो)

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