कविता - विचारों की यात्रा
सार
यह कविता मन की यात्रा है, बचपन से वृद्धावस्था तक। यह दर्शाती है कि वर्षों में हमारी सोच, आशाएँ और बुद्धि कैसे बदलती हैं, और
कविता - विचारों की यात्रा
दस में, दुनिया है खेल का रंग,
सपनों की लहरें, हर तरफ़ उमंग।
बीस में, आशाएँ उड़ान भरें,
तारों को छूते, नयी राह तलाशें।
तीस में, रास्ते फैलें, दूर तक,
विकल्प हमारे साथ चलें हर कदम तक।
चालीस में, संदेह धीरे आए,
पर साहस दिल को थामे रहें साए।
पचास में, बुद्धि फुसफुसाए,
सत्य की राह दिल को दिखाए।
साठ में, यादें चमक उठें,
सिखाएँ हर पल, हर रात, हर दिन।
सत्तर में, शांति पास लगे,
जीवन धीरे-धीरे, सरल और स्पष्ट रहे।
अस्सी में, मौन गाता गीत,
आत्मा पंख फैलाए, ऊँचाई की जीत।
सालों के पार, विचार उड़ान भरें,
सिर्फ़ शांति और आनंद हमारे संग रहें।
जी आर कवियुर
25 09 2025
(कनाडा , टोरंटो)
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