इंद्रधनुष में चमके रंग,
सुबह में गूंजे पक्षियों के संग।
ढोल बजे चाँदनी की राह में,
बाँसुरी बहे हवा की पाँखों में।
तारों की धुन कोमल सुनाई दी,
राग फैल गए बादलों की छाँव में।
ताल की लय में नृत्य प्रकट हुआ,
सपनों में संगीत ने जगह बनाई।
सुरों ने मिलकर सुनहरी रेखा बुनी,
शांति में खिले भावनाओं के फूल।
गीत बन गया प्रकाश,
हृदय जुड़े, समय भी थम गया।
जीआर कवियूर
22 09 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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