Sunday, September 14, 2025



अकेले विचार – 117

आशा है तूफ़ानों की लौ,
रास्ते बंद हों तो भी दे संबल वो।

रात में धीरे से बात सुनाए,
सुबह की किरण फिर से दिल तक आए।

सपनों के बीज यही बोती है,
सूखी ज़मीं में भी जीवन देती है।

शक्ति जगाती है उसकी रौशनी,
ग़म को बदल देती है मंज़िल की गिनती।

अँधेरों से पार यही साथ निभाए,
आसमान को नए रंगों से सजाए।

हार कभी इसको रोक न पाए,
आगे ही आगे हमें ले जाए।

जी आर कवियुर 
15  09 2025
( कनाडा, टोरंटो)

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