मेरे लब पे तेरा ही नाम,
दिल में लिखा है तेरा ही नाम।
तेरे बिना हर ख़्वाब अधूरा,
हर धड़कन में सजे तेरा ही नाम।
जुदाई में बस एक पैग़ाम,
ज़िंदा रहने का तेरा ही नाम।
तन्हाई में यादों का धाम,
हर सदा में गूंजे तेरा ही नाम।
मोहब्बत के सागर में डूबा,
नाव बने बस तेरा ही नाम।
दीवाना बनकर जीते हैं हम,
रूह की रूह में तेरा ही नाम।
‘जी आर’ की ग़ज़ल का है पैग़ाम,
उनकी ज़ुबाँ पे तेरा ही नाम।
जी आर कवियुर
02 09 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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