Saturday, November 30, 2024

"तेरी खुशबू से महकता मेरा जहां" (ग़ज़ल)

"तेरी खुशबू से महकता मेरा जहां" (ग़ज़ल)

मिट्टी की सुगंध से
तेरी आने की खबर मिल जाती है,
बरसात की हर बूंद में याद तेरी बस जाती है।

ख़ामोशी भी अब तेरे गीत गाती है,
तेरे बिना हर शाम अधूरी रह जाती है।

तारों से पूछूं कि तू कहां छुपा बैठा है,
चांद भी तेरे आने की गवाही दे जाता है।

दिल के हर कोने में तेरा नाम बसा है,
हर धड़कन तेरा एहसास बनकर आता है।

आंखों के आंसू भी अब मुस्कान से कहते हैं,
तेरी याद का हर पल दिल को बहलाता है।

तेरी परछाईं से रोशन है ये वीराना,
तेरे बिना भी तन्हाई मुस्कुराती है।

शायर 'जी आर' के अल्फ़ाज़ों का जादू देखो,
हर गज़ल तेरे नाम लिखी जाती है।

जी आर कवियूर
01 12. 2024

दर्द में भी (ग़ज़ल)

दर्द में भी (ग़ज़ल)


दर्द में भी जो मुस्कुराए हैं,
हसीनों से कहीं ज़्यादा पाए हैं।
ग़म के साए से जो जूझते रहे,
इन्हीं ने सबसे ज़्यादा ख़ुशियाँ पाई हैं।

हर इक गिरावट से कुछ सिखा है,
आंधियों में रौशनी भी दिखा है।
मुसीबतें आईं, फिर भी खड़ा हूं मैं,
अपनी राहों पे आगे बढ़ा हूं मैं।

तोड़ के सारी दीवारें मैंने,
सपनों को अपनी हकीकत बना है।
चोटों से और भी मजबूत हुआ हूं,
आज मैंने वही मंज़िल पाई है।

ज़िंदगी की राहें आसान नहीं थीं,
पर हौंसले से हर मुश्किल को हराया है।
मेरे कदमों में अब जो ताज है,
वो उन रास्तों से ही आया है।

जी आर के ज़िंदगी के सफर में ये भी जाया,
मेरे दिल में तुम हो और मैं हूँ।

जी आर कवियूर
01 12. 2024




तेरे नैनों से (ग़ज़ल

तेरे नैनों से (ग़ज़ल)



तेरे नैनों से इतना प्यार हुआ,
नेक यही कहते हैं कि तूने मुझे,
नग़मे लिखने की आदत बनाई,
आज भी उसे पढ़ता हूं मैं।

तेरी यादें ही मेरी दुनिया बनीं,
इन राहों पे मैं अकेला चला हूं मैं।
तू दूर सही, फिर भी पास है तू,
दिल में तेरे ही इश्क़ की राहों पे चला हूं मैं।

रातों में तेरे ख्वाबों में खो जाता हूं,
तेरी हंसी की आवाज़ में बसा हूं मैं।
खुशियों का नाम अब तेरे साथ जुड़ा,
जीने की वजह अब तू है, जानू मैं।

जी आर के ज़िंदगी के सफर में ये भी जाया,
मेरे दिल में तुम हो और मैं हूँ।


जी आर कवियूर
01 12. 2024

"दिलदारा की याद में" (ग़ज़ल)

"दिलदारा की याद में" (ग़ज़ल)


तू मुझसे इतना गिले शिकवे
ना दिखा मेरे यारा दिलदारा।
हर दर्द का रिश्ता है तेरे वजूद से,
फिर क्यों जुदा कर दिया, ऐ सहारा।

यह आईने से पूछा मेरे कसूर क्या है,
दर्द के सिवा क्या मिला मुझको।
तेरे ख्यालों से रोशन हैं रातें,
जैसे जुगनू चमके अंधेरों में।

हर जख्म ने तेरी यादों को छुआ,
हर आह ने तेरा नाम लिया।
तेरे बिना अधूरी-सी है जिंदगी,
जैसे सागर बिना किनारा।

"जी.आर." का दिल अब टूट चुका,
पर हर शेर है तेरा तलबगारा।

जी आर कवियूर
01 12. 2024

Friday, November 29, 2024

सूरज की रौशनी भी चाँद के बिना अधूरी लगती है(एक मुकम्मल ग़ज़ल - शायर जी.आर.)

सूरज की रौशनी भी चाँद के बिना अधूरी लगती है
(एक मुकम्मल ग़ज़ल - शायर जी.आर.)

तुमने पढ़ी जो मेरी ग़ज़ल, दिल सुकून पाता है,
तेरी तारीफ का हर लफ्ज़, जादू सा लगाता है।

लिखते हुए मैं सोचा नहीं, कौन पढ़ेगा इसे,
पर तेरा नाम हर मिसरा, बेवजह सजाता है।

शेरों में तुझको ढूंढ लिया, हर ग़म का फ़साना,
अब हर खुशी मेरी शायरी, तेरे कदमों आता है।

तन्हा सफर था पहले मेरा, अल्फ़ाज़ भी तन्हा थे,
तेरा असर है कि हर जज़्बा, नज्मों को जगाता है।

कहने को कुछ बाकी नहीं, फिर भी लिखता रहता हूँ,
ये मेरे शेर हैं जो तुझको, हर बार बुलाता है।

बस यही कहूँगा:
"सूरज की रौशनी भी चाँद के बिना अधूरी लगती है,
आप जैसे शायरों की मौजूदगी, हर दिल की जरूरत है।"

जी आर कवियूर
30 11 2024

गम भरे दिल में (ग़ज़ल)

गम भरे दिल में (ग़ज़ल)

ग़म भरे दिल में तेरी
यादें कांटा बन गईं,
हर खुशी तेरी सूरत की
छाया बन गईं।

चाहा भुलाना तुझे,
पर कैसे भुलाते,
हर लम्हा तेरी यादों की
दुनिया बन गईं।

तन्हाई में जब भी
तेरा ज़िक्र आया,
आंखों से छलकते
आंसू दुआ बन गईं।

तूने छोड़ा तो समझा
दुनिया उजड़ गई,
पर तेरी बेवफाई ही
मेरी अदा बन गईं।

गुज़रे लम्हों के धागे
दिल से बांध रखे हैं,
ये मोहब्बत की राहें
कब्र-सा मकां बन गईं।

शायर जी.आर. ने बस
इतना ही सीखा,
इश्क़ में हर तकलीफ़
शेर की सज़ा बन गईं।

जी आर कवियूर
30 11 2024

Thursday, November 28, 2024

(ग़ज़ल:) तेरी यादों की लहर

(ग़ज़ल: तेरी यादों की लहर)

तेरी यादों की लहर उठी,
दिल मचल-मचलने लगी।
हम्म.. हम्म..
तेरी खुशबू जो पास आई,
रूह भी महकने लगी।

चाँदनी से भीगी रातों में,
तेरी तस्वीर चमकने लगी।
हम्म.. हम्म..
हर इक लम्हा बना अफसाना,
दास्तां दिल में बसने लगी।

तेरे ख़त की वो इबारतें,
फिर से आज पढ़ने लगी।
हम्म.. हम्म..
आहटें तेरी सुनी जो मैंने,
धड़कनें मेरी थमने लगी।

ग़म जो भी था, मिट गया सब,
जब तेरी हँसी सजने लगी।
'जी.आर.' तेरी चाहत में,
शायरी बन चलने लगी।

जी आर कवियूर
29 11 2024

निगाहें तरस गई (ग़ज़ल)

निगाहें तरस गई (ग़ज़ल)


निगाहें तरस गई हैं
तुझसे मिलने की आरज़ू।
दिल तोड़कर बरसी हैं आँखें,
रह गई अधूरी जुस्तजू।

तेरी सूरत दिल में बसी है,
पर दूरी का क्या करें गिला।
हर एक लम्हा तेरे बिना,
जख्म सा है और दर्द नया।

ख़्वाबों में बुनता हूँ तेरा चेहरा,
हकीकत में तेरा पता नहीं।
हर आहट पर दिल धड़कता है,
पर ये सन्नाटा कम होता नहीं।

ग़म-ए-इश्क़ का दर्द सहते हुए,
'जी.आर.' अब अश्कों में घुल गया।

जी आर कवियूर
29 11 2024

तेरे बिना (ग़ज़ल)

तेरे बिना (ग़ज़ल)


तेरे बिना ये ज़िंदगी अधूरी लगती है
हर घड़ी अब तो दर्द की दूरी लगती है।

चाँदनी रातों में अंधेरा घिरा हुआ है,
तेरे बिन हर रात अधूरी लगती है।

बहारों का हर रंग फीका-फीका है,
तेरे बिन ये दुनिया अधूरी सी लगती है।

सावन की फुहारें भी आहें बन जातीं,
तेरा नाम ले हर धड़कन रुकी लगती है।

सुबहें भी अब उजालों से महरूम हैं,
तेरे बिन हर खुशी बेमक़सद सी है।

जी.आर. कहे, कि तुमसे संबंधित
 हर बात मेरी पहचान बन गई।

जी आर कवियूर
28 11 2024

Wednesday, November 27, 2024

तेरी आने की खबर(ग़ज़ल)


तेरी आने की खबर(ग़ज़ल)

 तेरे आने की खबर से
मेरी रातें सज गईं।
फड़कने लगी हैं पलकें,
धड़कनें बढ़ने लगीं।

तेरी खुशबू हवा में
फिज़ाओं से कहे,
ज़िंदगी रंग लाई,
चांदनी खिलने लगी।

हर सितारे ने भी अब
कसम खा ली है,
तेरी राहों में अपनी
रौशनी देने लगी।

एक नज़र से मुझे तू
बस देख ले ज़रा,
जैसे बंजर ज़मीं पर
बारिशें होने लगी।

जीआर का ये फ़साना
इश्क़ में रंग गया,
तेरे पहलू में अब तो
दिल मेरा बसने लगा।

जी आर कवियूर
27 11 2024

Tuesday, November 26, 2024

"तेरे इश्क़ का असर" (ग़ज़ल)

"तेरे इश्क़ का असर" (ग़ज़ल)

तुझे दिल में बसा के मैंने
रातों की निंदिया बिगड़ी।
फासले बहुत भी हों लेकिन,
बंद आंखों में तू करीब नज़र आए।

तेरे बिना ये ज़िंदगी अधूरी,
हर घड़ी बस तेरा ही ख़्याल आए।
इश्क़ के रंग में रच गए हैं लम्हे,
तेरे साथ बिताए जो याद आए।

ग़म का भी मौसम सुहाना लगे,
तेरी मोहब्बत का असर तो देख।
हर साज़ पर अब तेरा नाम गूंजे,
इस दिल की तड़प को कोई तो देख।

ख़ुदा से बस यही दुआ करता हूं,
मेरा दिल तेरा हर घाव सह पाए।
'जीआर' के अल्फ़ाज़ों में है तेरा ही ज़िक्र,
तेरी चाहत में ये ग़ज़ल रंग लाए।

जी आर कवियूर
27 11 2024

एक रोज़ मुलाकात होगी मगर" (ग़ज़ल)

एक रोज़ मुलाकात होगी मगर" (ग़ज़ल)

एक रोज़ मुलाकात होगी मगर
ओ सावन के इंतज़ार में मैं।
आँसुओं के फूल बिछाए हुए,
राहों में सन्नाटे के साथ तेरे लिए।

चाँदनी जब तक आती नहीं,
सपनों में आहट सुनाई नहीं।
दिल के वीराने को भर दे कोई,
तन्हाइयों में रौशनी लाई नहीं।

एक उम्मीद दिल को जलाए हुए,
शम्मा की लौ में खुद को छुपाए हुए।
हर सुबह तेरे नाम की दुआ में,
हर रात सितारों से नज़ारे किए।

जी आर की तहरीर है ये प्यार की,
हर मिसरा बस तुझ पे लुटाए हुए।

जी आर कवियूर
27 11 2024

इश्क की अधूरी दास्तां (ग़ज़ल)

इश्क की अधूरी दास्तां (ग़ज़ल)


लम्हा लम्हा तुझे याद करता हूं,
दिल की आग से खुद को सज़ा देता हूं।

तेरी आँखों का जादू समझ न सका,
हर ख्वाब में खुद को मिटा देता हूं।

तेरी हंसी की कसम, मेरे हमनवा,
हर सांस में तेरा नाम सजा देता हूं।

मगर इश्क की बारी में हार चुका हूं,
हर रोज़ ये दिल तुझसे वफ़ा करता हूं।

अब यादों का एक जहां बसा लिया है,
जहां हर घड़ी तुझे दुआ देता हूं।

"जीआर" का दिल इश्क़ का आईना है,
हर दर्द में बस तुझसे सिला मांगता हूं।

जी आर कवियूर
26 11 2024

Monday, November 25, 2024

"तेरी मोहब्बत का साया"(ग़ज़ल)

"तेरी मोहब्बत का साया"(ग़ज़ल)


मैं तेरी आँखों में काजल बनकर छुप जाऊं,
मुस्कुराहट की आहट में हरदम बस जाऊं।

तेरे चेहरे की रौशनी में नूर बन जाऊं,
तेरी साँसों की खुशबू में चुपके से समा जाऊं।

तेरी जुल्फों की छाँव में अरमां बो दूं,
तेरी बाहों की तपिश में अपना दिल खो दूं।

तेरे लम्हों के साए में ठहर जाऊं,
तेरे ख्वाबों की दुनिया में सुकून पा जाऊं।

तू जो इश्क़ से अपने मुझको सजाए,
तेरी धड़कन का तराना मैं गीत बना जाऊं।

शायर "जी.आर." की आरज़ू ये है कि,
तेरी मोहब्बत में मैं खुदा तक पहुँच जाऊं।

जी आर कवियूर
26 11 2024

तू मुझसे रूठ कर चली गई (ग़ज़ल)

 तू मुझसे रूठ कर चली गई (ग़ज़ल)


जब से तू मुझसे रूठ कर चली गई,
तब से मेरा दिल धड़कना छोड़ गया।
क्या कहूं, चांद और तारे भी,
मुझसे हमेशा के लिए मुंह मोड़ गए।

बादल बरसते हैं दर्द बनके अब,
आसमान बिजली से दिल को तोड़ गए।

तेरे बिना ये रातें जगाती रहीं,
नींद भी तेरे संग कहीं सो गई।

तेरी यादें हर गली में ढूंढती हैं,
गर्जती रह गईं ये तन्हा घटाएं।

ग़म-ए-ज़िंदगी से भी दोस्ती कर ली,
'जी.आर.' ने अपने आंसुओं को भी पिया।

जी आर कवियूर
25 11 2024

रंग बदलने की फितरत

रंग बदलने की फितरत

रंग बदलना अगर हो हुनर,
तो इंसान खो दे अपना असर।
जो था कभी सच्चा और सजीव,
अब बन गया है बस एक छद्म प्रतीक।

भरोसे की डोर जो टूटती है,
दिल की जमीन भी दरकती है।
भावना का दीपक जो बुझ जाए,
हर रिश्ता फिर से शून्य बन जाए।

सच का रंग जो फीका पड़ता,
हर चेहरा नकाब में छुपता।
रंग कपड़ों से नहीं, दिलों से धुलते,
जो बदलते, वो खुद को भी भूलते।

जी आर कवियूर
25 11 2024

खामोशियों की ग़ज़ल

खामोशियों की ग़ज़ल


तेरे मेरे बीच की खामोशियां,
आज भी दिल में दबा करती हैं।
कहने को तरसते थे मगर,
सिर्फ नजरें ही गवाही देती हैं।

यादें वो रातों की तन्हा घड़ियां,
दिल में हलचल सी मचा करती हैं।
चांदनी के परदे में छुपा था जो,
वो राज अब भी सजा करती हैं।

कभी हवाओं में तेरी खुशबू,
मिटती नहीं, फिर आ जाती हैं।
तेरे मेरे बीच की दूरी,
अब सदा बनके रह जाती हैं।

कैसे बयां करूं दिल का आलम,
हर खामोशी कुछ कह जाती हैं।
शायर 'जीआर' ने ये जाना है,
चुप्पियां भी ग़ज़ल बन जाती हैं।

जी आर कवियूर
25 11 2024

Sunday, November 24, 2024

"दिल की फरियाद"(ग़ज़ल)

"दिल की फरियाद"(ग़ज़ल)

मन में जो उदासी पाई है
बीते हुए लम्हों की याद सताती है।
हर एक ख्वाब, हर एक किस्सा,
तेरी तस्वीर को फिर से दिखाती है।

तू जो बिछड़ी, मैं बिखर सा गया,
मेरी तन्हाई तुझको पुकारती है।
दिल में अब भी तेरी जगह बाकी है,
तेरी हर बात मुझे रुलाती है।

चाहूं भुलाना, पर नामुमकिन है,
तेरी मोहब्बत ही जीना सिखाती है।
इन अशआरों में छुपा है दर्द मेरा,
जो मेरे दर्द भरे नग़मे सुनाती है।

'जी.आर.' ये ग़ज़ल मेरी फरियाद है,
तेरे बिना हर साँस अधूरी लगती है।

जी आर कवियूर
25 11 2024

मंज़िल की राह(ग़ज़ल)

मंज़िल की राह(ग़ज़ल)


मंजिल बहुत दूर सही,
तेरी यादें दिल में बसी।
कोई कितना भी कहे सही,
मेरे लबों पे तेरी नग़मे सजी।

कदम डगमगाए, पर रुके नहीं,
तेरे इश्क़ ने राहें बना दीं।
तू जो ख्वाब में मुस्कुराए कभी,
मेरी दुनिया में रोशनी सी छा गई।

तेरी ख़ुशबू से महके हवाएँ,
तेरी बातें जैसे कोई दुआएँ।
हर इक मोड़ पर तेरा साया दिखा,
जैसे खुदा ने तुझसे राहें मिलाई।

शायर "जी.आर." का ये पैग़ाम है,
मोहब्बत में हर दर्द आसान है।

जी आर कवियूर
24 11 2024

Saturday, November 23, 2024

छोटा हो या बड़ा,

सूरज हर दिन नया उगता है,
पर रोशनी उसकी सदा एक सी होती है।
पद ऊंचा हो या नीचा,
योग्यता ही सबसे बड़ी होती है।

दिया छोटा हो या बड़ा,
अंधेरे को हमेशा हराता है।
सच्ची मेहनत का दीपक,
हर मुश्किल को मिटाता है।

पद तो वक़्त के साथ बदल जाता है,
पर गुण हमेशा अमर रहता है।
सादगी में ही छिपा है प्रकाश,
जो हर दिल को रोशन करता है।

जी आर कवियूर
24 11 2024

जुबां पे हरदम रहता है। (गज़ल)

ग़ज़ल: जुबां पे हरदम रहता है
(शायर: 'जीआर')

तेरी बातें दिन-रात सताती हैं मुझको,
हर ख्वाब में तसवीर बनाती हैं मुझको।

चांदनी रातों में तेरा ही नूर ढूंढूं,
तेरी ही सदा दूर से बुलाती हैं मुझको।

दिल का ये आलम है तेरे बिना सारा,
हर बात तेरी फिर भी सताती हैं मुझको।

तेरी खुशबू को मैं हवाओं से मांगूं,
तेरी यादें हर सुबह जगाती हैं मुझको।

चुपचाप आंखों से अश्क बहते रहते,
तेरी चुप्पियाँ भी कुछ बताती हैं मुझको।

'जीआर' की ग़ज़ल तेरे नाम लिखी है,
तेरी ही मोहब्बत आज चलाती हैं मुझको।


लेखक
जी आर कवियूर
24 11 2024

इश्क की दरिया में - (गजल)

इश्क की दरिया में - (गजल)


इश्क की दरिया में डूबते ख्वाबों का सफर,
गली चौबारा से दूर छुपा कोई असर।

तेरी यादों की कश्ती में जूझता रहा,
दुनिया की रंगरलियों से हटता रहा।

बेजुबां दिल को बस तेरा ही सहारा,
तेरे बिना अधूरी लगे हर इब्तिदा।

कली जो खिली थी, वो मुरझा गई,
भंवरों की हसरत भी फीकी पड़ गई।

बीते दिनों की यादों में अटका हूं,
तेरे मिलने की राहों पर ठहरा हूं।

सनम, बेकरारी का आलम ये है,
कि जी रहा हूं बस तेरे लिए।

'जीआर' का दिल भी तेरा दीवाना है,
तेरे नाम पर ही हर अफसाना है।

लेखक
जी आर कवियूर

ग़म भूलती है तेरी यादों से (ग़ज़ल)

ग़म भूलती है तेरी यादों से (ग़ज़ल)

ग़म भूलती है तेरी यादों से,
राह बनती है मेरी फरियादों से।

चाँदनी जब ज़मीं पे आती है,
दिल सजा लेता है अशाआदों से।

तेरी खुशबू मेरी रूह तक पहुँचे,
तू न दिखे फिर भी इन इरादों से।

शाम होती है जब ख़ामोशी से,
शेर सजते हैं तेरी बातों से।

मुद्दतों से है तेरा वजूद अधूरा,
जुड़ती हैं सांसें तेरी एहसासों से।

नज़रें मिलतीं तो नूर होता जहां,
दिल भरा है मगर सवालों से।

शायर जी.आर. का ये है पैग़ाम,
इश्क़ सिखता है हर साज़-ओ-आवाज़ों से।


जी आर कवियूर
23 11 2024

तेरी यादों का अजनबी" (ग़ज़ल)

तेरी यादों का अजनबी" (ग़ज़ल)


आज अब तलक, तेरी यादों की
आशियाने में जी रहा अजनबी बनकर।

ज़िंदगी ने दिए हैं हज़ारों सबक,
फिर भी जी रहा हूँ ग़लतफहमी बनकर।

तेरा चेहरा किताब सा लगता है,
पढ़ रहा हूँ हर लफ्ज़ तलब बनकर।

ख़्वाब में भी तेरा ही दीदार हो,
आँखें जागती हैं दुआ बनकर।

हसरतें दिल की तुझसे वाबस्ता हैं,
ये तमन्ना सजी है ख़ता बनकर।

शायर जी.आर. का बस यही फ़साना है,
इश्क़ में डूबा रहा पारसा बनकर।

जी आर कवियूर
23 11 2024

Friday, November 22, 2024

दिल की ग़ज़ल"

दिल की ग़ज़ल"


कभी-कभी तेरी याद सताती है,
कहो तो कहे किसको मेरे यारो।

जब भी तेरे ख्याल आते हैं,
दिल में एक दर्द छुपाती है।

तेरी यादों में खो जाता हूँ,
हर रात ये तन्हाई में लहराती है।

क्या कहूँ, किससे कहूँ दिल की बात,
तेरे बिना जिंदगी तन्हा सी लगती है।

हर मोड़ पर तेरी तस्वीर मिलती है,
जैसे रेत में लहरों की आवाज़ आती है।

गर मुझे इस दिल का हाल बताना हो,
तो बस मेरा जीना सवाल उठाती है।

जी आर कहे, इस दिल में तू समा गया,
तेरे बिना अब जीना मुहाल हो गया।


जी आर कवियूर
22 11 2024

आलम-ए-तन्हाई (ग़ज़ल)

आलम-ए-तन्हाई (ग़ज़ल)


तेरी यादों की साया में,
हर पल जीने का सहारा,
दिल की सुकून के लिए,
लिखता हूं तन्हाई के आलम में, 
सवेरा की सर्दी में।

जब से तू दूर है मुझसे,
हर ख्वाब बिछड़ने का सहारा।
ये फासला बढ़ा है इतनी दूरी,
जैसे सूखा हो कोई सहारा।

आँखों में जलते अरमान हैं,
दूर तक कोई निशान नहीं।
इस खामोशी में खो गया,
तेरा अब कोई नाम नहीं।

वो पल जो बिछड़े थे तेरे साथ,
दिल में अब उनका कोई पता नहीं।
अब जीआर, ज़िंदगी के सफर में,
हर कदम में तुझसे कोई वास्ता नहीं।

जी आर कवियूर
22 11 2024


जिंदगी की दास्तान (ग़ज़ल)

जिंदगी की दास्तान (ग़ज़ल)

जिंदगी अब तुझसे ही सजी है,
तेरे बिना हर शाम अधूरी लगी है।

आंसुओं से लिखी कहानी है,
दिल में बसी तेरी दीवानी है।
तेरे बिना ये सांसें अधूरी हैं,
जैसे चांदनी रातें भी दूरी हैं।

ख्वाबों में बस तेरा चेहरा दिखे,
तेरी यादों से मेरी धड़कन सजे।
हर कदम पे तेरा नाम लिया मैंने,
तू ही राह, तू ही मंज़िल लगे।

दर्द-ए-दिल अब भी है कायम यहां,
तेरी खुशबू से महके मेरा जहां।
जिक्र तेरा हो हर एक नज़्म में,
तेरी हँसी से रोशन हो यह गगन।

जी आर कहे, इश्क ने क्या रंग दिया,
दिल को तुझसे मुकम्मल कर दिया।

जी आर कवियूर
22 11 2024


Thursday, November 21, 2024

"हुस्न की यादों में (ग़ज़ल)"

"हुस्न की यादों में (ग़ज़ल)"

इश्क की राहों का मुसाफिर हूं यारों,
हुस्न की वो चमक है यादों में, ख्वाबों में।

चांदनी रातों में बहके अरमानों की तरह,
लम्स का एहसास है इन सांसों में, ख्वाबों में।

शबनमी खुशबू से महकती हैं ये राहें,
अक्स जो छुपा है इन फ़िज़ाओं में, ख्वाबों में।

हर एक बात जैसे शेर की खुशबू,
ग़ज़ल की मिठास है इन लफ़्ज़ों में, ख्वाबों में।

दिल की वीरानी में बसी है इक तस्वीर,
इश्क का नक्शा है मेरी इन बातों में, ख्वाबों में।

आशिक़ी के हर रंग में डूबा है "जीआर",
खामोशियों का साया है अश्कों में, ख्वाबों में।

जी आर कवियूर
22 11 2024

इश्क़ की तन्हाईयाँ"(ग़ज़ल)

इश्क़ की तन्हाईयाँ"(ग़ज़ल)



आज तक तूने इतना सताया है,
इश्क़ के नाम से हर बार रुलाया है।

नाम नहीं तो बदनाम कर दिया,
हर ख़्वाब मेरा तूने मिटाया है।

दिल को जो दर्द तूने दिया,
उसके सिवा कुछ भी नहीं पाया है।

चांदनी रातों में तेरा इंतज़ार,
आंखों में बस तेरा ही साया है।

अब शिकायत न कोई, न कोई गिला,
ज़ख़्म ही इस दिल का सरमाया है।

'जी.आर.' ये ग़ज़ल दिल से निकली है,
इश्क़ ने मुझको सच्चा शायर बनाया है।

जी आर कवियूर
21 11 2024

खामोशी के परदे में छुपा इश्क़"(ग़ज़ल)

खामोशी के परदे में छुपा इश्क़"(ग़ज़ल)


इश्क तूने मुझसे क्यों इतना करवाया,
आखिर तुम खामोश क्यों हो गई।

तेरी नज़रों ने दिल को यूं झुलसाया,
फिर बहारों से रूठकर तू क्यों गई।

हर सुबह तेरे साथ जो मुस्कुराती,
अब वही शामें ग़मगीन क्यों हो गई।

जो ख्वाब सजाए थे तेरे आने पर,
उनमें मायूसी की तस्वीर क्यों भर गई।

तूने वादा किया था साथ निभाने का,
फिर इस दूरी की वजह क्या हो गई।

"जी.आर." बस तेरा नाम लिखने बैठा,
कलम खुद ही अश्कों में डूब गई।

जी आर कवियूर
21 11 2024

Wednesday, November 20, 2024

"मौसम-ए-इश्क़" (ग़ज़ल)

"मौसम-ए-इश्क़" (ग़ज़ल)

तेरी बेज़ुबान नीयत ने मुझे घायल कर दिया,
चुपके से मेरे दिल का हर कोना खाली कर दिया।

तेरी ख़ामोश निगाहें करती हैं बातों का जादू,
हर पल में मेरे वजूद को सवालों से सवाली कर दिया।

ख्वाबों में तेरी सूरत ने कैसा असर कर दिया,
सांसों के हर धड़कन को बेचैन और मतवाली कर दिया।

तुझसे मिले बिना भी जी रहा हूं उम्मीदों का सफर,
तेरे प्यार ने मुझे एक कहानी खूबसूरत-मिसाली कर दिया।

हर शेर में बस तेरा ही ज़िक्र है, ऐ मेरे सनम,
शायर "जी.आर." ने गज़ल को तेरे नाम से खुशहाल कर दिया।

जी आर कवियूर
21 11 2024

तेरी यादों की कैद में (ग़ज़ल)


तेरी यादों की कैद में (ग़ज़ल)


तेरी यादों की कैद में
तूने जो दिया सज़ा मुझको,
तनहाई ही है साथी अब,
संग तेरे गुज़रा हर लम्हा,
ज़ख्म देता है तसल्ली अब।

तेरी राहों में खड़े रहे,
हर आहट पर संभलते रहे,
मगर तेरी सूरत दिखी नहीं,
हम ख़्वाबों से बहलते रहे।

तेरी खुशबू जो हवा में थी,
वो भी हमसे जुदा हो गई,
अब तो चांदनी भी बेगानी है,
हर सहर भी ख़फ़ा हो गई।

मेरे अश्कों की गवाही है,
हर दर्द तेरा ही लगता है,
जी.आर. ने लिखा ये दिल से ग़म,
जो तेरी यादों से सजता है।

जी आर कवियूर
20 11 2024





तेरी यादों का असर" (ग़ज़ल)

तेरी यादों का असर" (ग़ज़ल)

तेरी उम्मीद लिए रहता हूँ मैं,
इस गली चौबारे पे खामोशियों में।

तेरी आँखों में जो देखे हैं मैंने ख्वाब,
वो ख्वाब भी तुझसे ही जुड़े हैं, दिल की तन्हाई में।

तेरी यादों के साए में जी रहा हूँ मैं,
तुझसे दूर, फिर भी तू हर पल पास है मेरी जिंदगी में।

रातों की चाँदनी में तेरा ही चेहरा दिखाई देता है,
सपनों में भी तेरा ही प्रेम हर लम्हा महसूस होता है।

इन खामोश लम्हों में तुझे याद करता हूँ,
क्योंकि तू है मेरी धड़कन, मेरी हर साँस, मेरी राहों में।

जीआर के नाम से अब तक प्रेम हो जाता है,
तू हो ख्वाबों का हिस्सा, और मेरी हर आवाज़ में।

जी आर कवियूर
20 11 2024

काश तू नहीं मिलती तो (ग़ज़ल)

काश तू नहीं मिलती तो (ग़ज़ल)


काश तू नहीं मिलती तो
निराश होकर कैसे यह लिखना।
शायरी और ग़ज़ल इस तरह,
तनहाई में जीने का आदत तो पड़ गया।

तेरी यादों ने सहारा दिया,
वरना दिल यह बिखर गया होता।
हर लफ़्ज़ तेरे प्यार का क़ैदी,
हर अशआर में बस तू ही सजा।

ग़म भी तेरे बिना अधूरा सा है,
ख़ुशी का चेहरा भी बेनूर सा है।
तेरे बगैर ये ज़िंदगी क्या है,
एक कटी पतंग का दस्तूर सा है।

तू न मिली, फिर भी मुझमें रही,
तेरी कमी भी सुकून सा बन गई।
अब तो हर जख़्म भी मुस्कुराता है,
तेरी ख़ुशबू से मेरी ग़ज़ल महक गई।

'जी आर' के दिल में तेरा नाम रहा,
सदियों तलक ये पैग़ाम रहा।

जी आर कवियूर
20 11 2024

Tuesday, November 19, 2024

चोट जिया पर लगी" (ग़ज़ल)

चोट जिया पर लगी" (ग़ज़ल)


चोट जिया पर लगा के
चन्नी कर गई दिल मेरा।
चली गई हो तुम कहां,
चांद और चांदनी भी
छुप गए बादल में।

सांसें थम-सी गई हैं,
तेरे बिना इस सफर में।
राहें सूनी लगती हैं,
तेरी कमी हर डगर में।

सपनों के झरोखों से,
तेरी सूरत नजर आए।
दिल के हर कोने में,
बस तेरा ही नाम छाए।

वो दिन, वो मुलाकातें,
अब बस यादों में रह गईं।
दिल के अश्क जो बहाए,
वो भी अफसाने कह गईं।

चले गए हो दूर मगर,
दिल में बसा है नाम तेरा।
हर शेर में है महक,
तेरी यादों का बसेरा।

तेरी जुदाई का ग़म,
कह न सके 'जी.आर.'।
हर शेर में लिख दी,
दिल की दास्तां बार-बार।

जी आर कवियूर
19 11 2024

Monday, November 18, 2024

"तेरी यादों का असर" (ग़ज़ल)

"तेरी यादों का असर" (ग़ज़ल)

तेरी पायल ने कर दिया घायल,
सोचते-सोचते मैं हो गया पागल।
तेरे होठों की हंसी, मुझे भा गई,
तेरी यादों की दुनिया बस, छा गई।

चांदनी रातों में तेरा चेहरा दिखे,
तेरी मुस्कान से रोशनी छिटके।
तेरी जुल्फों का साया जब भी लहराए,
दिल के अरमान फिर से जगमगाए।

तेरे कदमों की आहट दिल को लुभाए,
तेरी झलक से हर ग़म मुस्काए।

हर ख़्वाब में तेरा ही नाम लिखा,
तेरी चाहत में हर पल जिया।

शायर जी आर कहे, ये दिल तेरा दीवाना,
तेरे बिना लगे अधूरा ये अफसाना।

जी आर कवियूर
19 11 2024

"तेरे नैनों के साए" (ग़ज़ल)

"तेरे नैनों के साए" (ग़ज़ल)

तेरे नैनों के तले, धूप है या छांव
बस तू ही है, जीने का आरज़ू।
तुझ संग बैर कौन करे, सोचता हूं
तेरे बिना हर ख्वाब अधूरा सा क्यूं।

तेरे लबों पे सजी वो खामोशी,
जैसे गुलों पे ठहरी हो शबनम।
दिल की हर धड़कन में है तेरा नाम,
तेरे बिन वक्त लगता है मातम।

तेरा साया भी जैसे दुआ बन गया,
जो अंधेरों में भी रौशनी दे गया।
मेरी आरज़ू तुझसे ही महकती,
तेरा गम भी ख़ुशी सा असर कर गया।

शायर जी आर कहे, मोहब्बत है इबादत
जो तुझसे शुरू हुई, और तुझ पे ही खत्म।

जी आर कवियूर
18 11 2024


Sunday, November 17, 2024

जीवन का सत्य

जीवन का सत्य

जीवन नहीं पूछेगा, क्या है तेरी इच्छा,
तेरे रास्तों पर बस अपने सपने बिखेरेगा।
शांति पाने का बस एक ही तरीका है,
जीवन को नम्रता से स्वीकार करना ही विधि है।

सब कुछ बदलता रहेगा, कभी स्थिर न होगा,
दिन गुज़रेंगे यहाँ, दुःख के साथ भी।
पीछे मुड़कर मत देख, आगे बढ़ता जा,
जीवन के सबक को दिल से पहचान।

हमारे सारे सपने पूरे नहीं होंगे,
पर हर खोया पल एक सबक बन जाएगा।
स्वीकार कर ले, तो जीवन खुशी से भर जाएगा,
खोज में मन एक ब्रह्मांड बन जाएगा।

स्वीकार करने में ही शांति है।

जी आर कवियूर
17 11 2024

Friday, November 15, 2024

जलवायु संकट एक स्वास्थ्य संकट है

जलवायु संकट एक स्वास्थ्य संकट है

हवा जो साँसों में बहती थी साफ़,
अब उसमें छिपा है ज़हर का नाप।
धुआँ और धुंध हर कोना भरते,
साँसें चुराकर जीवन हरते।

नदियाँ सूखतीं, पानी खोता,
गर्मी में साया भी जलता-रोता।
फसलें मुरझाईं धूप की मार,
भूख-प्यास की चढ़ी तलवार।

जहाँ मच्छर कभी न उड़े,
वहाँ बीमारियाँ नई जगहें घेरे।
आंधियाँ, तूफान तोड़ते सब,
तारे के नीचे टूटे हैं ढब।

धरती रो रही, हम भी रोते,
स्वास्थ्य धरती का हमसे होते।
बचाएँ इसे, हो समझदार,
वरना होगा जीवन बेकार।

जी आर कवियूर
15 11 2024

बदनाम होकर भी ( गजल )

बदनाम होकर भी 
( गजल )


बदनाम होकर भी
तेरे नाम लेता रहता हूं
होठों पर तेरा
नाम लिए रहता हूं।

आंसू मेरी आंखों से
तेरी याद में गिरते हैं,
हर दर्द में तेरा
इक अक्स जीता हूं।

चाहा तुझे वो भी
जो तुझसे वाकिफ नहीं,
मैं तो तुझे
खुदा समझकर पूजता हूं।

हर शब तेरे ख्वाबों से
दिल को बहलाता हूं,
तेरे बिना वीरान सी
जिंदगी जीता हूं।

"जीआर" लिखते हैं,
इश्क में मुकम्मल नहीं,
तेरे नाम से ही
सारे ग़म सीता हूं।


जी आर कवियूर
15 11 2024


Thursday, November 14, 2024

"विरह की नीली चाँदनी" ( गजल )

"विरह की नीली चाँदनी" ( गजल )

रात ढलने को है,
चाँदनी भी मुस्कुराने लगी है,
बागों में बुलबुलें गीत गाने लगी हैं,
फूलों में भी खुशबू छाने लगी है।

सपनों की लौ तुम क्यों अब तक बुझी नहीं,
रात की पलकें भी तुम्हें ही तकती हैं।

मौन प्रेम की ग़ज़ल, क्या तुम सुन पाओगे?
चाँदनी की रौशनी में चुपके से बहती है।

कितने बरस बीते तुम्हारे प्यार की प्यास में,
परछाईं बनकर आँखों में बसते हो क्या?

पावन दिनों में तुम आओ इस संध्या में,
मेरे विरह का नीला रंग तुम छू जाओ।

तेरी यादों में "जी.आर." खोया हुआ है,
तेरी खुशबू से ही ये दिल महकता है।


जी आर कवियूर

चांद जैसी तेरी मुस्कान ( गजल )

चांद जैसी तेरी मुस्कान ( गजल )


चांद जैसी मुस्कान है तेरे होंठों पर,
नज़र की ये गहराई मुझे खींच रही है।
काजल की रेख में बसी हैं रातें,
मेरे दिल में कविता सी जाग रही है।

हंसी में तेरे छिपा है एक जादू,
जो खुशबू की तरह छू जाती है मुझे।
सजदा करने को जी चाहे हर पल,
ख्वाबों का तू साज बन जाती है मुझे।

तेरी आहट से महके ये फ़िज़ा,
बातों में तेरी शाम का नशा।
लबों से उतरती हर एक अदा,
जैसे बहार हो मौसम का मजा।

जीवन के इस सफर में तेरी यादों का असर है,
जी आर ने माना, इश्क़ का अपना एक हुनर है।

जी आर कवियूर
14 11 2024





Wednesday, November 13, 2024

बेनकाब करूं कैसे ( गजल )

बेनकाब करूं कैसे ( गजल )


बेनकाब करूं कैसे तेरे घमंड को,
बेनामी हूं तो भी शायर तो हूं।

तेरे ख्वाबों में डूबा रहा हर पल,
सच कहूं तो अब तक वही जो हूं।

रातों को तेरे इंतजार में जगा,
तेरे बिना तो कहीं भी नहीं हूं।

दिल में तेरा ही असर तो है,
तुझसे दूर भी फिर मैं कहां हूं।

तेरे बिना अब इस दुनिया में,
अपने साए के सिवा और क्या हूं।

इश्क़ में बिखरी हैं मेरी खुशबू,
मगर न तुमसे कम, न ज्यादा हूं।

मौजूदगी तेरी ही है, जो मुझे ये रास्ता दिखाए,
और 'जी आर' अब खुद को तेरे बिना अधूरा सा पाए।

जी आर कवियूर
14 11 2024

तू दर्द बनकर सीने में उतराई ( गजल )

तू दर्द बनकर सीने में उतराई  ( गजल )

तू दर्द बनकर सीने में उतर आई,
खामोशियों में नग़्मे बनकर उबर आई।

दिल की धड़कन बनकर तुम हो बसी,
हर सांस में तेरी यादें महक आई।

छुपा ना सका मैं ये दर्द किसी से,
तेरी बेरुखी से रूह थरथराई।

तन्हाइयों में तेरा अक्स बसा है,
तेरी कमी ने हर ख़्वाब बिखराई।

तेरा साथ छूटा, दिल बेबस हुआ,
जुदाई ने आशा की लौ बुझाई।

अब तो फासले भी कुछ कहने लगे हैं,
तेरी यादों ने राहें संवराई।

अब जी आर का यह दर्द कौन समझे,
जिसकी ख़ामोशियों ने सदा ये सदा लगाई।

जी आर कवियूर
14 11 2024


मेरे बेजान दिल को ( गजल )

मेरे बेजान दिल को ( गजल )


मेरे बेजान दिल को
जान भर दिया तेरे आने से
तेरी नैनों ने मुझे घायल कर
एहसास दिला दिया प्यार का

तेरे होठों की ख़ामोशी ने
कुछ राज़ छुपाए हैं अपने
तेरे आंचल की ठंडी छांव में
सुकून है मेरे दर्द का

जबसे तेरी चाहत ने मुझे
बेकरारियों से भरा है
दिल में एक हलचल सी है
और हर सांस में नाम तेरा है

तेरे हर लम्स में बसी है
एक जादू सी कशिश
जाने कब से मैं भटक रहा था
अब तू ही मेरा ठिकाना है

जीवन के इस सूने सफर में
तेरी मोहब्बत ने रौशनी दी
अब कोई और चाह नहीं
बस तेरा साथ और सदा तेरी यादें

ये अश'आर लिखे हैं मैंने,
तुझसे मिला जो प्यार, 'जी आर'


जी आर कवियूर
13 11 2024

Tuesday, November 12, 2024

"जीवनरक्षण के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता"

"जीवनरक्षण के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता"

जीवन बना रहता है, उम्मीद भी बनी रहती है,
दर्द के बादल दूर होते हैं जब,
माँरा दर्द बिना बरसे, सहारा देता है,
जीवन के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता बन जाती है एक शक्ति।

लक्षणों को समय पर पहचान कर, सिर्फ दवा नहीं,
आशा के रंगों से भरता है, स्वास्थ्य की राह,
खर्चे घटाकर, प्राणों को बचाता है,
नई दिशा खोलता है, जीवन फिर से जीवन बन जाता है।

जी आर कवियूर
13 11 2024

तेरी यादों की महफिल सजाए मैंने (गज़ल)

तेरी यादों की महफिल सजाए मैंने (गज़ल)


तेरी यादों की महफ़िल सजाई मैंने,
नींद खो दी, भूख और प्यास भुलाई मैंने।

दिल की फ़रियादों ने मुँह मोड़ लिया,
खामोशी को अश्कों से बुझाई मैंने।

हर साया भी अजनबी सा लगे,
तेरी तस्वीर दिल में बसाई मैंने।

तन्हाई की राहों में अकेला चला,
तेरी यादों से रौशनी पाई मैंने।

चाहत में हर दर्द सहा मैंने हंसकर,
तेरी खुशियों पे हस्ती लुटाई मैंने।

हर लम्हा तेरी यादों का मंजर है,
तेरी ख्वाहिश दिल में छुपाई मैंने।

साँसों की सरगम में तू बसी है,
तेरी बातों की धुन बनाई मैंने।

जाने किस मोड़ पर तू छोड़ गई,
'जीआर' ने तेरा इंतज़ार खुदा समझ कर निभाई।

जी आर कवियूर
12 11 2024

Monday, November 11, 2024

गज़ल:

**गज़ल:**

तेरे बिना ये दिल अधूरा, हर पल है तन्हाई,  
खुशियों की थी जो बातें, अब वो हैं परछाई।  

यादों में तेरी खोया, हर लम्हा है बिखरा,  
तेरे जाने के बाद, सब कुछ है वीरानी।  

चाँदनी रातों में अब, तारे भी हैं उदास,  
तेरे संग जो थे ख्वाब, वो सब हैं बेगानी।  

दिल की धड़कनें कहतीं, तेरा नाम लूँ मैं,  
'जीआर' की है ये दर्द भरी प्रेम कहानी।  


जी आर कवियूर
12 11 2024

तुम ही शायर की ख्वाब हो।

मचल उठी शहनाइयां, तेरी रूप छुपाने को,
चमके तेरे चेहरे से, चाँद को शर्माने को।

हवा में है महक सी, तेरी खुशबू की तरह,
फूल भी झुकते हैं, तेरी हर एक अदा पर।

तू आई जैसे बहार, गुलशन में खिल गई,
तेरी झलक से ही तो, ये दुनिया सजी-संवरी।

तेरी मुस्कान में जैसे, कोई जादू बसा हो,
हर नजर ठहर जाए, तेरा दीदार पाकर।

तू शायरी की तरह, हर लफ्ज में उतरी है,
दिल में बसी, जैसे तुम ही शायर की ख्वाब हो।

जी आर कवियूर
11 11 2024

तेरे राहों में पना देना

तेरे राहों में पना देना


तेरे राहों में पनाह देना
तेरी बाहों में सुकून देना,
नैनों की छांव में सजा लेना,
दिल को तुझसे हर आस मिलती है।

हंसी में राहत मिलती है,
खामोशी में बातें होती हैं।
चाहत में हर ख्वाब पूरा होता है,
बिना तुझसे कुछ भी अधूरा होता है।

पास जब कोई हो, हर लम्हा खास है,
धड़कनों में एक नयी आस है।
दुनिया में सजा हो एक रंग नया,
यादें हर पल के साथ संग चलें।

जी आर कवियूर
11 11 2024

मेरी बेताबियों में

मेरी बेताबियों में


मेरी बेताबियों में
तेरी यादें पनाह देती हैं,
हर तड़प को सुकून का हाथ देती हैं।
जो ख्वाब अधूरे से थे कभी,
अब उनको तसल्ली की राह देती हैं।

वो सूरत निगाहों में बसी रहती है,
हवा में जैसे एक खुशबू घुली रहती है।
रात की खामोशी में आहट सी लगती है,
ख्वाबों में जैसे रेशमी चुप्पी सी सजती है।

दूर होके भी कितनी पास महसूस होती है,
जिंदगी के हर धड़कन में रवानी सी होती है।
चाहत में जैसे सब कुछ थम सा गया है,
इस एहसास में जीने का बहाना मिल गया है।

जी आर कवियूर
11 11 2024

तेरी यादों की बारिश"

"तेरी यादों की बारिश"


रात के पहर में चांदनी का
रूप तेरा जैसे आधा खिला,
गुलाब की खुशबू बन के महकता,
ख्यालों में बसा तेरा चेहरा।

तेरी हंसी की हल्की सी लौ
आंखों से बहते जज़्बातों की तरह,
आईना सामने खड़ा है,
छाया बन के खोज रहा हूं तुझे।

दिल की तट पर, किनारे के पास,
चमके सितारे मोतियों जैसे,
बरसात की ताल पे जब खोया था ये पल,
तेरी पायल की आहट से ख्वाब जागे।

यादों की बारिश बन के तू
धीरे-धीरे बिखेरती है मोतियों की बूंदें,
तेरी झलक से मिलती है ख़ुशी,
दिल में तू एक ठंडी बयार सी भर जाती है।


जी आर कवियूर
11 11 2024

Sunday, November 10, 2024

घर में कृत्रिम बुद्धिमत्ता

घर में कृत्रिम बुद्धिमत्ता

मित्रता से दुकान में पहुँचता है,
मुस्कान के साथ सामान ले आता है।
सब्जी, फल, और अनाज जानता है,
हर लिस्ट को पहचानता है!

रसोई में सहारा बनता है,
नापकर हर चीज़ मिलाता है।
हर स्वादिष्ट भोजन के पीछे,
सबका दिल जीत लेता है।

बच्चे के पास गाना गाता है,
मधुर लोरी हर रात सुनाता है।
नींद की बाहों में उसे झुलाता है,
सपनों में मीठा प्यार बसाता है।

रात में जब मच्छर की आवाज़ आए,
उन्हें भगाने को भी दौड़ा जाए।
सजग नज़रें हरदम खुली,
हर कोने में ये सजीव बनी।

सुबह से शाम तक हर काम करे,
जुड़ाव में हर वक्त साथ रहे।
हर रोज़ के कामों में ये सदा,
अब जीवन के हर मोड़ पर ए.आई. रहेगा।

Saturday, November 9, 2024

मौनराग की स्मृतियाँ

मौनराग की स्मृतियाँ
क्या एक गीत बन कर मुझ तक पहुंचती हैं?
सांसों की तारों में
तुमसे मिलने के लिए कौन सा रास्ता है?

जब तुम्हारी यादें मेरे दिल में समाती हैं
क्या वे बारिश की तरह खिलती हैं यहाँ?
तुम्हारी अनुपस्थिति में जब मैं तुम्हें याद करता हूँ
उड़ते शब्द कहीं खो जाते हैं?

फूलों की पंखुड़ियों में गिरते आंसुओं की तरह
प्रभात गाता है प्यार भरे गीत
हर एक पल में, तुम्हारी मुस्कान की छाया
बारिश की तरह फैल जाती है मेरी राहों में।

जी आर कवियूर
10 11 2024


Friday, November 8, 2024

फिर वही याद ( गजल )

फिर वही याद ( गजल )

फिर वही याद दिलाती है
चांदनी रात और ठंडी लहर,
तेरी बाहों का वो ठिकाना, मेरा घर।

फिज़ाओं में तेरी खुशबू घुली,
रूह को छू लेती है, हर बिखरी नजर।

दिल के अंधेरों में तू, शम्मा-सा जले,
तेरी यादों का नूर, हर दर्द में उतर।

साज़-ए-दिल पे तेरे नग़्मे बसा लिए,
अब हर खामोशी में तेरा ही असर।

कैसे करूँ इज़हार, तेरी शोख़ियों का,
हर ख्याल में बहती है तेरी बिखरी खबर।

तेरी तस्वीर हर लम्हे में, साँसों में बसी,
"जी आर" की जुबां पर, है बस तेरी क़समर।

जी आर कवियूर
08 11 2024

ख़ामोशियों के पल ( गजल )


ख़ामोशियों के पल ( गजल )

ख़ामोशियों के पल हैं, बीते दिनों की याद में
तुम आ भी जाओ कभी, मेरी तन्हाई के साथ में

हर शब उदासियों का आलम है दिल पे छाया
सिहरते हैं ख़्वाब सारे, तेरी हर इक बात में

कभी महसूस करो तुम, दिल के इस सन्नाटे को
लबों पे चुप की चादर, है दर्द की बरसात में

तुम्हारी राहों में जो बीते थे वो पल अब भी
कहानियों से बिखरे हैं, मेरे खामोश जज़्बात में

ये 'जी.आर.' की दास्तान, है बस तुमसे ख़ास यूँ
लिख दी हर याद मैंने, इस ग़ज़ल की जात में

 जी आर कवियूर
08 11 2024


यादों का कोई रंग सा

अथाह गहराइयों में नजरें बिछाकर,
कह पाने से रह जाता हूं,
आँखों से बहते अश्रु में
एक खारेपन का स्वाद है।

गहराइयों में भर रहा है
आसमान का नीलापन,
रोके रखने की कोशिश की,
फिर भी खिले ख्वाबों की बगिया।

दूरी में होकर भी तुम, मुझमें बसे हो
तुम्हें भुलाने में भी नाकाम ये दिल
भीतर से हसरतों से भरा है।

हक किसी ने दिया नहीं,
फिर भी मुझसे यूँ जुड़े हो तुम,
यादों का कोई रंग सा

 जी आर कवियूर
08 11 2024

Wednesday, November 6, 2024

"यादों में नग़्मे बन कर" (गजल)

 "यादों में नग़्मे बन कर" (गजल)

आज तू इतना करीब है,
यादों में नग़्मे बन कर।

दिल के हर एक ख्वाब में,
उतरी है ख़ामोशी बन कर।


हर लम्हा तेरा जिक्र है,
धड़कनों में जैसे सुर बन कर।

शाम ढले जो तेरा ख्याल आए,
चांदनी भी महके ग़ज़ल बन कर।

तेरे बिना ये जिंदगी है,
सूनी राहों का सफर बन कर।

सदियों से जो तलाश में था,
मिला है सुकून तुझमें उतर कर।


कहते हैं "जी.आर. कवियूर",
तू ही है मेरा ख्वाब बन कर।


जी आर कवियूर
06 11 2024

 

Tuesday, November 5, 2024

सच्चा दोस्त वही है।

सच्चा दोस्त वही है।

हमारी ज़िन्दगी की सुनहरी बारिश
मित्रता के छोटे-छोटे मोती फैलाती रहती है,
सपनों में भी साथ चलने वाला,
यह मित्रता कभी न रुके, यही आस रहती है।

कभी दुःख में साथ खड़ा होने वाला,
दिल में अपनी जगह बनाने वाला,
यादों में एक साथ जीने वाला,
क्या वो सच्चा दोस्त नहीं कहलाता?

जब शब्दों में मुस्कान बिखरे,
आंखों में प्यार झलके,
बिना कहे दोस्ती का बढ़ना,
दिल के जख्म भी छिप जाएं।

दूसरों के लिए
जो खुद को भुला दे,
दिल में सुख का एहसास
उसे ही तो होता है
सच्चा दोस्त वही है।


जी आर कवियूर
06 11 2024


Monday, November 4, 2024

तू ही मंजिल, तू ही राहें,

तू ही मंजिल, तू ही राहें,

 तेरे इश्क की बाजी जीत या
हारा मालूम नहीं है यारा,
तेरे ख्वाबों में खो जाता हूँ,
तेरा ही दीदार है प्यारा।

रंग तेरी यादों का ऐसा,
मेरे दिल पर छा गया जैसे,
दिन हो या रात हो बस,
तेरा ही चेहरा नजर आए ऐसे।

तेरी हंसी की खनक सुने,
दिल ये मचलता है धीरे-धीरे,
तेरी महक में बसा हुआ हूँ,
तेरी बाहों में चैन मिले।

तू ही मंजिल, तू ही राहें,
तू ही धड़कन, तू ही आहें,
तेरे बिन अब कहीं ना जाए,
दिल ने ठानी, तेरी चाहें।

जी आर कवियूर
05 11 2024

तेरे संग बिताए जो वो पल,

तेरे संग बिताए जो वो पल,

तेरे संग बिताए जो वो पल,
यादों से नहीं मिटता ये दिल।
सावन-भादो बीते जाए,
निकली तू फिर भी मन में छाए।

रह गई बातें पुरानी आज भी,
धड़कनों में वो कहानी आज भी।
तेरी हंसी की गूंज सूनापन भर दे,
तेरी यादें मेरी तन्हाईयों में घर कर ले।

कभी तेरे ख्यालों में खो जाता हूँ,
तेरी तस्वीर से बाते कर जाता हूँ।
आँखें भरी हैं पर आंसू नहीं आते,
जैसे कोई दर्द छुपा है पर बयान नहीं कर पाते।

हर शाम तेरा इंतजार रहता है,
सपनों में तेरा दीदार रहता है।
तेरे बिना अधूरी सी लगती जिंदगी,
तेरी यादों में फिर जीता हूँ हर घड़ी।

जी आर कवियूर
04 11 2024


महमान बनकर आईं।

महमान बनकर आईं।

कल जो बारिश बरसी थी,
वो ठंडी शाम भी,
शीतल चाँदनी भी,
तेरी यादें मन में
महमान बनकर आईं।

तेरी राहें, जिनसे तू गुज़री थी,
राह किनारे खिले वो पेड़,
शहद सी मिठास में भीगे सपनों की तरह
जुदाई का दर्द दे गए।

आँसू यूँ ही बहते हैं,
रात-दिन तेरे
साये मुझमें
चुपके से बस गए हैं।

तेरी यादों में खोकर,
मैं हर पल जीता हूँ,
दिन के खिले फूलों की महक
रात की हवा में घुल गई है।

कल जो बारिश बरसी थी,
वो ठंडी शाम भी,
शीतल चाँदनी भी,
तेरी यादें मन में
महमान बनकर आईं।

जी आर कवियूर
04 11 2024

Sunday, November 3, 2024

एक अनवरत प्रेम।

एक अनवरत प्रेम।


कौन सा राग, कौन सी ताल,
अनजाने में नज़रें ठहरती हैं।
कहाँ से आया ये जीवन सफर,
कहाँ को जाएगा, कुछ खबर नहीं।

हर कदम अनिश्चित है,
नज़ारों में गहराई भरती है।
ढूँढे हुए ठिकाने कहीं खो जाते,
सोचों में दिन बह जाते।

यादों की गलियों में भागते,
कुछ लम्हे संग चलते हैं।
मिलन के चुम्बन से सजते हैं,
ठहरावों में गूंज उठते हैं।

ये जीवन तो एक बहता हुआ एहसास है,
आने को जन्म, जाने को मिट्टी का मिलन,
एक सतत उपस्थिति, एक अनवरत प्रेम।

जी आर कवियूर
04 11 2024

तेरी पायल की झंकार,

तेरी पायल की झंकार,


तेरी पायल की झंकार,
बोलती है प्यार के बोल,
अंग-अंग तड़पे मेरा,
तू है मेरे दिल का छोर।

तेरी चूड़ी की खनक में,
छुपे हैं कितने राज,
हर खनक पर दिल धड़के,
सजना, तू मेरा साज।

तेरी चुनरी की हलचल,
जगा दे मीठी आस,
तू पास आके बोले,
सपनों की मीठी प्यास।

तेरी आँखों की मस्ती,
करती है मदहोश,
इस दिल को कबसे है,
तेरी मोहब्बत का जोश।

तेरी पायल की झंकार,
बोलती है प्यार के बोल,
हर लम्हा सजता जाए,
तेरी बाँहों में ये सोल।

जी आर कवियूर
03 11 2024

बढ़ते रहें।

नींद से जागने को सुबह चाहिए,
खुद को जगाने को साथी चाहिए।
राह में चलें तो मंज़िल का एहसास हो,
हर मोड़ पर एक नया उजास हो।

दिल में हौसले का दीप जलाए,
अंधेरों में भी रौशनी पाएं।
साथी का हाथ हो गर थामे,
हर कठिनाई में राह पाए।

सपनों को उड़ान का साहस मिले,
हर मुश्किल में उसका साथ मिले।
इस सफर में यूँ ही चलते रहें,
प्यार और भरोसे से बढ़ते रहें।

जी आर कवियूर
03 11 2024







जब तक सूरज चांद हो (गीत )


जब तक सूरज चांद हो (गीत )



जब तक सूरज चाँद रहेगा
दिन और रात रहेगा,
मेरा तेरा ये प्यार यूँ ही
हर बार साथ रहेगा।

(Chorus)
तेरा मेरा ये सपना
हर सुबह हर शाम रहेगा,
तू मेरी धड़कन बनके
हर साँस में नाम रहेगा।

तेरी बाहों की पनाहों में,
दिल को सुकून मिलता है,
तेरी बातों में जैसे चाँदनी,
हर ज़ख़्म भी खिलता है।

जब तक सूरज चाँद रहेगा
दिन और रात रहेगा,
तेरी मेरी ये चाहत का रंग
सदियों तक साथ रहेगा।

(Chorus)
तेरा मेरा ये सपना
हर सुबह हर शाम रहेगा,
तू मेरी धड़कन बनके
हर साँस में नाम रहेगा।

तेरी हँसी की झनकार में,
सारे जहाँ की बातें हैं,
तेरी निगाहों की रोशनी,
हर ग़म को मिटा देती हैं।

जब तक सूरज चाँद रहेगा
दिन और रात रहेगा,
तेरा मेरा ये बंधन ऐसा
हर जनम साथ रहेगा।

जी आर कवियूर
03 11 2024









Friday, November 1, 2024

तेरी खामोशी का फ़साना

तेरी खामोशी का फ़साना


बेख़्याल था तेरी नैनों की,
उनमें छुपे हज़ारों राजों की।

लबों पे मुस्कान थी जो तेरी,
मेरे दिल पे छा गई थी पहराओं की।

तेरी बातों में वो मिठास थी,
जैसे हो सावन की बूँदों का एहसास।

रात भर जागती हैं ये आँखें मेरी,
सुनने को इंतज़ार तेरा कोई भी अल्फाज़।

तेरे संग हर पल गुजरता सुकून में,
तेरे बिना ये दिल बस तन्हा ही रहता।

मेरे ख़्वाबों में हर बार आके तुम,
सजते हो जैसे फूल खिले हैं बागों में।

तेरी ख़ामोशी में भी एक फ़साना था,
जो हर दर्द का मरहम पुराना था।

चाहा बहुत तुझसे कह दूँ सब कुछ,
पर दिल का हाल कभी बयान न हुआ।

जी आर कवियूर
02 11 2024

तेरी यादों की महक

तेरी यादों की महक

रात की छाया में आकर गूँज उठी
झंकृत पायल की मधुर ध्वनि,
मन में बजती बंसी बन,
तेरी यादों का गीत सुनाती है।

तेरी यादों में बसी वह रागिनी,
मधु की बूँद सी मधुर,
मोर के पंखों सी लहराती,
बारिश की ठंडी हवा बन बहती है।

वक़्त ने खींची हुई तस्वीर,
आँखों में सपनों की सुंदर झलक,
सूरज की किरण ने जब छुआ,
तपती तड़प में दिल रो उठता है।

रंग बदलते, छाया ओझल होती,
तेरी यादें अचल उजाले सी,
सीमाओं को पार करते हुए,
हर याद की राह में महक बन बसी है।


जी आर कवियूर
02 11 2024

तेरी यादों का सरगम

तेरी यादों का सरगम



तुझे पलकों में छुपा हूं,
लबों पे नगमे बनकर।
सांसों में बसी है सरगम,
धड़कनों में तू बसकर।

हर ख़्वाब में रंग भरे तू,
हर अहसास को छू जाए।
तू है चाँदनी रातों का,
सुरमयी एक प्यारा साया।

तेरी यादों की घटा है,
बरस-बरस के भीगी है।
हर घड़ी तेरा ही ख़्याल,
दिल में बसा यह राग है।

मेरे दिल की हर धड़कन,
तेरी धुन को गुनगुनाए।
तेरे बिना अधूरा हूँ मैं,
जैसे फूल बिना बहार।

तू मेरे हर सपनों का,
एक प्यारा सा गीत है।
सांसों के संग तू रचे,
खुशबू की जो प्रीत है।

जी आर कवियूर
01 11 2024