Monday, November 11, 2024

मेरी बेताबियों में

मेरी बेताबियों में


मेरी बेताबियों में
तेरी यादें पनाह देती हैं,
हर तड़प को सुकून का हाथ देती हैं।
जो ख्वाब अधूरे से थे कभी,
अब उनको तसल्ली की राह देती हैं।

वो सूरत निगाहों में बसी रहती है,
हवा में जैसे एक खुशबू घुली रहती है।
रात की खामोशी में आहट सी लगती है,
ख्वाबों में जैसे रेशमी चुप्पी सी सजती है।

दूर होके भी कितनी पास महसूस होती है,
जिंदगी के हर धड़कन में रवानी सी होती है।
चाहत में जैसे सब कुछ थम सा गया है,
इस एहसास में जीने का बहाना मिल गया है।

जी आर कवियूर
11 11 2024

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