"तेरी यादों की बारिश"
रात के पहर में चांदनी का
रूप तेरा जैसे आधा खिला,
गुलाब की खुशबू बन के महकता,
ख्यालों में बसा तेरा चेहरा।
तेरी हंसी की हल्की सी लौ
आंखों से बहते जज़्बातों की तरह,
आईना सामने खड़ा है,
छाया बन के खोज रहा हूं तुझे।
दिल की तट पर, किनारे के पास,
चमके सितारे मोतियों जैसे,
बरसात की ताल पे जब खोया था ये पल,
तेरी पायल की आहट से ख्वाब जागे।
यादों की बारिश बन के तू
धीरे-धीरे बिखेरती है मोतियों की बूंदें,
तेरी झलक से मिलती है ख़ुशी,
दिल में तू एक ठंडी बयार सी भर जाती है।
जी आर कवियूर
11 11 2024
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