Monday, November 18, 2024

"तेरे नैनों के साए" (ग़ज़ल)

"तेरे नैनों के साए" (ग़ज़ल)

तेरे नैनों के तले, धूप है या छांव
बस तू ही है, जीने का आरज़ू।
तुझ संग बैर कौन करे, सोचता हूं
तेरे बिना हर ख्वाब अधूरा सा क्यूं।

तेरे लबों पे सजी वो खामोशी,
जैसे गुलों पे ठहरी हो शबनम।
दिल की हर धड़कन में है तेरा नाम,
तेरे बिन वक्त लगता है मातम।

तेरा साया भी जैसे दुआ बन गया,
जो अंधेरों में भी रौशनी दे गया।
मेरी आरज़ू तुझसे ही महकती,
तेरा गम भी ख़ुशी सा असर कर गया।

शायर जी आर कहे, मोहब्बत है इबादत
जो तुझसे शुरू हुई, और तुझ पे ही खत्म।

जी आर कवियूर
18 11 2024


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