आज तक तूने इतना सताया है,
इश्क़ के नाम से हर बार रुलाया है।
नाम नहीं तो बदनाम कर दिया,
हर ख़्वाब मेरा तूने मिटाया है।
दिल को जो दर्द तूने दिया,
उसके सिवा कुछ भी नहीं पाया है।
चांदनी रातों में तेरा इंतज़ार,
आंखों में बस तेरा ही साया है।
अब शिकायत न कोई, न कोई गिला,
ज़ख़्म ही इस दिल का सरमाया है।
'जी.आर.' ये ग़ज़ल दिल से निकली है,
इश्क़ ने मुझको सच्चा शायर बनाया है।
जी आर कवियूर
21 11 2024
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