Tuesday, November 19, 2024

चोट जिया पर लगी" (ग़ज़ल)

चोट जिया पर लगी" (ग़ज़ल)


चोट जिया पर लगा के
चन्नी कर गई दिल मेरा।
चली गई हो तुम कहां,
चांद और चांदनी भी
छुप गए बादल में।

सांसें थम-सी गई हैं,
तेरे बिना इस सफर में।
राहें सूनी लगती हैं,
तेरी कमी हर डगर में।

सपनों के झरोखों से,
तेरी सूरत नजर आए।
दिल के हर कोने में,
बस तेरा ही नाम छाए।

वो दिन, वो मुलाकातें,
अब बस यादों में रह गईं।
दिल के अश्क जो बहाए,
वो भी अफसाने कह गईं।

चले गए हो दूर मगर,
दिल में बसा है नाम तेरा।
हर शेर में है महक,
तेरी यादों का बसेरा।

तेरी जुदाई का ग़म,
कह न सके 'जी.आर.'।
हर शेर में लिख दी,
दिल की दास्तां बार-बार।

जी आर कवियूर
19 11 2024

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