दर्द में भी जो मुस्कुराए हैं,
हसीनों से कहीं ज़्यादा पाए हैं।
ग़म के साए से जो जूझते रहे,
इन्हीं ने सबसे ज़्यादा ख़ुशियाँ पाई हैं।
हर इक गिरावट से कुछ सिखा है,
आंधियों में रौशनी भी दिखा है।
मुसीबतें आईं, फिर भी खड़ा हूं मैं,
अपनी राहों पे आगे बढ़ा हूं मैं।
तोड़ के सारी दीवारें मैंने,
सपनों को अपनी हकीकत बना है।
चोटों से और भी मजबूत हुआ हूं,
आज मैंने वही मंज़िल पाई है।
ज़िंदगी की राहें आसान नहीं थीं,
पर हौंसले से हर मुश्किल को हराया है।
मेरे कदमों में अब जो ताज है,
वो उन रास्तों से ही आया है।
जी आर के ज़िंदगी के सफर में ये भी जाया,
मेरे दिल में तुम हो और मैं हूँ।
जी आर कवियूर
01 12. 2024
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