काश तू नहीं मिलती तो
निराश होकर कैसे यह लिखना।
शायरी और ग़ज़ल इस तरह,
तनहाई में जीने का आदत तो पड़ गया।
तेरी यादों ने सहारा दिया,
वरना दिल यह बिखर गया होता।
हर लफ़्ज़ तेरे प्यार का क़ैदी,
हर अशआर में बस तू ही सजा।
ग़म भी तेरे बिना अधूरा सा है,
ख़ुशी का चेहरा भी बेनूर सा है।
तेरे बगैर ये ज़िंदगी क्या है,
एक कटी पतंग का दस्तूर सा है।
तू न मिली, फिर भी मुझमें रही,
तेरी कमी भी सुकून सा बन गई।
अब तो हर जख़्म भी मुस्कुराता है,
तेरी ख़ुशबू से मेरी ग़ज़ल महक गई।
'जी आर' के दिल में तेरा नाम रहा,
सदियों तलक ये पैग़ाम रहा।
जी आर कवियूर
20 11 2024
No comments:
Post a Comment