Thursday, November 28, 2024

(ग़ज़ल:) तेरी यादों की लहर

(ग़ज़ल: तेरी यादों की लहर)

तेरी यादों की लहर उठी,
दिल मचल-मचलने लगी।
हम्म.. हम्म..
तेरी खुशबू जो पास आई,
रूह भी महकने लगी।

चाँदनी से भीगी रातों में,
तेरी तस्वीर चमकने लगी।
हम्म.. हम्म..
हर इक लम्हा बना अफसाना,
दास्तां दिल में बसने लगी।

तेरे ख़त की वो इबारतें,
फिर से आज पढ़ने लगी।
हम्म.. हम्म..
आहटें तेरी सुनी जो मैंने,
धड़कनें मेरी थमने लगी।

ग़म जो भी था, मिट गया सब,
जब तेरी हँसी सजने लगी।
'जी.आर.' तेरी चाहत में,
शायरी बन चलने लगी।

जी आर कवियूर
29 11 2024

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