इश्क की राहों का मुसाफिर हूं यारों,
हुस्न की वो चमक है यादों में, ख्वाबों में।
चांदनी रातों में बहके अरमानों की तरह,
लम्स का एहसास है इन सांसों में, ख्वाबों में।
शबनमी खुशबू से महकती हैं ये राहें,
अक्स जो छुपा है इन फ़िज़ाओं में, ख्वाबों में।
हर एक बात जैसे शेर की खुशबू,
ग़ज़ल की मिठास है इन लफ़्ज़ों में, ख्वाबों में।
दिल की वीरानी में बसी है इक तस्वीर,
इश्क का नक्शा है मेरी इन बातों में, ख्वाबों में।
आशिक़ी के हर रंग में डूबा है "जीआर",
खामोशियों का साया है अश्कों में, ख्वाबों में।
जी आर कवियूर
22 11 2024
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