Friday, November 1, 2024

तेरी यादों की महक

तेरी यादों की महक

रात की छाया में आकर गूँज उठी
झंकृत पायल की मधुर ध्वनि,
मन में बजती बंसी बन,
तेरी यादों का गीत सुनाती है।

तेरी यादों में बसी वह रागिनी,
मधु की बूँद सी मधुर,
मोर के पंखों सी लहराती,
बारिश की ठंडी हवा बन बहती है।

वक़्त ने खींची हुई तस्वीर,
आँखों में सपनों की सुंदर झलक,
सूरज की किरण ने जब छुआ,
तपती तड़प में दिल रो उठता है।

रंग बदलते, छाया ओझल होती,
तेरी यादें अचल उजाले सी,
सीमाओं को पार करते हुए,
हर याद की राह में महक बन बसी है।


जी आर कवियूर
02 11 2024

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