Sunday, November 10, 2024

घर में कृत्रिम बुद्धिमत्ता

घर में कृत्रिम बुद्धिमत्ता

मित्रता से दुकान में पहुँचता है,
मुस्कान के साथ सामान ले आता है।
सब्जी, फल, और अनाज जानता है,
हर लिस्ट को पहचानता है!

रसोई में सहारा बनता है,
नापकर हर चीज़ मिलाता है।
हर स्वादिष्ट भोजन के पीछे,
सबका दिल जीत लेता है।

बच्चे के पास गाना गाता है,
मधुर लोरी हर रात सुनाता है।
नींद की बाहों में उसे झुलाता है,
सपनों में मीठा प्यार बसाता है।

रात में जब मच्छर की आवाज़ आए,
उन्हें भगाने को भी दौड़ा जाए।
सजग नज़रें हरदम खुली,
हर कोने में ये सजीव बनी।

सुबह से शाम तक हर काम करे,
जुड़ाव में हर वक्त साथ रहे।
हर रोज़ के कामों में ये सदा,
अब जीवन के हर मोड़ पर ए.आई. रहेगा।

No comments:

Post a Comment