Friday, November 8, 2024

फिर वही याद ( गजल )

फिर वही याद ( गजल )

फिर वही याद दिलाती है
चांदनी रात और ठंडी लहर,
तेरी बाहों का वो ठिकाना, मेरा घर।

फिज़ाओं में तेरी खुशबू घुली,
रूह को छू लेती है, हर बिखरी नजर।

दिल के अंधेरों में तू, शम्मा-सा जले,
तेरी यादों का नूर, हर दर्द में उतर।

साज़-ए-दिल पे तेरे नग़्मे बसा लिए,
अब हर खामोशी में तेरा ही असर।

कैसे करूँ इज़हार, तेरी शोख़ियों का,
हर ख्याल में बहती है तेरी बिखरी खबर।

तेरी तस्वीर हर लम्हे में, साँसों में बसी,
"जी आर" की जुबां पर, है बस तेरी क़समर।

जी आर कवियूर
08 11 2024

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