Tuesday, November 26, 2024

एक रोज़ मुलाकात होगी मगर" (ग़ज़ल)

एक रोज़ मुलाकात होगी मगर" (ग़ज़ल)

एक रोज़ मुलाकात होगी मगर
ओ सावन के इंतज़ार में मैं।
आँसुओं के फूल बिछाए हुए,
राहों में सन्नाटे के साथ तेरे लिए।

चाँदनी जब तक आती नहीं,
सपनों में आहट सुनाई नहीं।
दिल के वीराने को भर दे कोई,
तन्हाइयों में रौशनी लाई नहीं।

एक उम्मीद दिल को जलाए हुए,
शम्मा की लौ में खुद को छुपाए हुए।
हर सुबह तेरे नाम की दुआ में,
हर रात सितारों से नज़ारे किए।

जी आर की तहरीर है ये प्यार की,
हर मिसरा बस तुझ पे लुटाए हुए।

जी आर कवियूर
27 11 2024

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