इश्क तूने मुझसे क्यों इतना करवाया,
आखिर तुम खामोश क्यों हो गई।
तेरी नज़रों ने दिल को यूं झुलसाया,
फिर बहारों से रूठकर तू क्यों गई।
हर सुबह तेरे साथ जो मुस्कुराती,
अब वही शामें ग़मगीन क्यों हो गई।
जो ख्वाब सजाए थे तेरे आने पर,
उनमें मायूसी की तस्वीर क्यों भर गई।
तूने वादा किया था साथ निभाने का,
फिर इस दूरी की वजह क्या हो गई।
"जी.आर." बस तेरा नाम लिखने बैठा,
कलम खुद ही अश्कों में डूब गई।
जी आर कवियूर
21 11 2024
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