तू दर्द बनकर सीने में उतराई ( गजल )
तू दर्द बनकर सीने में उतर आई,
खामोशियों में नग़्मे बनकर उबर आई।
दिल की धड़कन बनकर तुम हो बसी,
हर सांस में तेरी यादें महक आई।
छुपा ना सका मैं ये दर्द किसी से,
तेरी बेरुखी से रूह थरथराई।
तन्हाइयों में तेरा अक्स बसा है,
तेरी कमी ने हर ख़्वाब बिखराई।
तेरा साथ छूटा, दिल बेबस हुआ,
जुदाई ने आशा की लौ बुझाई।
अब तो फासले भी कुछ कहने लगे हैं,
तेरी यादों ने राहें संवराई।
अब जी आर का यह दर्द कौन समझे,
जिसकी ख़ामोशियों ने सदा ये सदा लगाई।
जी आर कवियूर
14 11 2024
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