Monday, November 4, 2024

तू ही मंजिल, तू ही राहें,

तू ही मंजिल, तू ही राहें,

 तेरे इश्क की बाजी जीत या
हारा मालूम नहीं है यारा,
तेरे ख्वाबों में खो जाता हूँ,
तेरा ही दीदार है प्यारा।

रंग तेरी यादों का ऐसा,
मेरे दिल पर छा गया जैसे,
दिन हो या रात हो बस,
तेरा ही चेहरा नजर आए ऐसे।

तेरी हंसी की खनक सुने,
दिल ये मचलता है धीरे-धीरे,
तेरी महक में बसा हुआ हूँ,
तेरी बाहों में चैन मिले।

तू ही मंजिल, तू ही राहें,
तू ही धड़कन, तू ही आहें,
तेरे बिन अब कहीं ना जाए,
दिल ने ठानी, तेरी चाहें।

जी आर कवियूर
05 11 2024

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